Comprehension

दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
मैं नीर भरी दुःख की बदली।
स्पंदन में चिर निश्चय बसा, 
क्रंदन में आहट विषम हँसी, 
नयनों में दीपक से जलते 
पलकों में निर्झरी मचली!

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश का शोधक एवं रचना का नाम लिखिए।

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काव्यांश के लेखक और कृति का नाम याद रखना आवश्यक है।
Updated On: Nov 7, 2025
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उक्त पद्यांश की रचनाकार महादेवी वर्मा हैं। यह रचना उनके प्रसिद्ध काव्य संग्रह "नीरजा" से ली गई है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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काव्य व्याख्या लिखते समय मूल अर्थ को ध्यान में रखें और सरल शब्दों में प्रस्तुत करें।
Updated On: Nov 7, 2025
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इस पद्यांश में कवयित्री ने अपने हृदय की पीड़ा को व्यक्त किया है। 'नीर भरी दुःख की बदली' के माध्यम से उन्होंने अपने हृदय में छिपे गहरे दुःख को दर्शाया है। 'स्पंदन में चिर निश्चय बसा' पंक्ति से यह स्पष्ट होता है कि कवयित्री का हृदय सदैव करुणा और पीड़ा से भरा हुआ है।
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Question: 3

'नयनों में दीपक से जलते' में कौन-सा अलंकार प्रस्तुत हुआ है?स्पष्ट कीजिए।

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अलंकार की पहचान करते समय उपमेय और उपमान का ध्यान रखें।
Updated On: Nov 7, 2025
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'नयनों में दीपक से जलते' में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है। इसमें कवयित्री ने अपने नेत्रों को दीपक की ज्योति के समान जलता हुआ बताया है, जिससे उनकी वेदना और करुणा स्पष्ट होती है।
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Question: 4

कवयित्री के निःसंग रहने का क्या कारण है?

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कवयित्री के मनोभावों को समझते हुए उत्तर दें।
Updated On: Nov 7, 2025
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कवयित्री का निःसंग रहने का कारण उनका गहरा आत्मिक दुःख है। वे अपने जीवन को पीड़ा और करुणा से भरा हुआ मानती हैं और इसलिए स्वयं को संसार से अलग-थलग अनुभव करती हैं।
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Question: 5

उपर्युक्त पद्यांश में कवयित्री ने स्वयं को क्या बताया है?

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कविता के प्रतीकात्मक अर्थ को समझकर उत्तर दें।
Updated On: Nov 7, 2025
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इस पद्यांश में कवयित्री ने स्वयं को "नीर भरी दुःख की बदली" बताया है। यह रूपक अलंकार का सुंदर उदाहरण है, जहाँ उन्होंने स्वयं को दुःख से भरी एक बदली के रूप में प्रस्तुत किया है जो जीवन में केवल पीड़ा और करुणा को दर्शाती है।
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