Comprehension

दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली !

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

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संदर्भ लिखते समय कविता के मूल विचार और उसके कवि या कवयित्री का नाम अवश्य उल्लेख करें।
Updated On: Nov 7, 2025
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यह पद्यांश प्रसिद्ध हिंदी कवयित्री महादेवी वर्मा की रचना से लिया गया है। इसमें कवयित्री ने जीवन की क्षणभंगुरता और निस्सारता का मार्मिक चित्रण किया है। इस कविता में वे अपने अस्तित्व को विस्तृत नभ के कोने के समान मानती हैं, जिसका कोई निश्चित स्थान या अधिकार नहीं होता।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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काव्य पंक्तियों की व्याख्या करते समय उनके भावार्थ और गहरे अर्थ को स्पष्ट करें।
Updated On: Nov 7, 2025
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रेखांकित अंश "उमड़ी कल थी मिट आज चली!" का अर्थ यह है कि जीवन का अस्तित्व क्षणिक है, जो कल प्रकट हुआ था, वह आज समाप्त हो गया। यहाँ कवयित्री ने मानव जीवन की अस्थिरता को दर्शाया है। जैसे वर्षा की उमड़ती घटाएँ आती हैं और फिर लुप्त हो जाती हैं, वैसे ही जीवन भी एक क्षण के लिए खिलता है और फिर समाप्त हो जाता है। इस पंक्ति में जीवन की नश्वरता का सुंदर चित्रण किया गया है।
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Question: 3

कवयित्री अपने जीवन की तुलना किसके साथ करती है?

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कवियों द्वारा प्रयोग की गई उपमाओं और प्रतीकों को समझकर उत्तर देना चाहिए।
Updated On: Nov 7, 2025
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कवयित्री अपने जीवन की तुलना विस्तृत नभ के एक कोने से करती हैं, जिसका कोई निश्चित स्थान नहीं होता। उनका मानना है कि जैसे आकाश में बादल आते हैं और चले जाते हैं, वैसे ही जीवन भी अस्थिर और नश्वर है। वह कहती हैं कि उनका जीवन एक इतिहास की तरह है, जो बीते कल तक था और आज समाप्त हो गया।
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Question: 4

उपर्युक्त अंश में कौन-सा रस है?

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रस पहचानते समय कविता की भावना और उसके प्रभाव को समझना आवश्यक होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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उपर्युक्त पद्यांश में विप्रलंभ (वियोग) शृंगार रस की प्रधानता है। इसमें कवयित्री ने अपने अस्तित्व की क्षणभंगुरता और जीवन की अनिश्चितता को दर्शाया है, जिससे मन में करुणा और संवेदनशीलता उत्पन्न होती है। इस प्रकार यह करुण रस और शृंगार रस का मिश्रण प्रस्तुत करता है।
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Question: 5

यह पद्यांश किस भावना को प्रकट करता है?

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काव्य की भावना को समझने के लिए उसमें निहित दार्शनिक अर्थ और कवि की मनःस्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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यह पद्यांश जीवन की क्षणभंगुरता और अस्थिरता की भावना को प्रकट करता है। कवयित्री यह बताना चाहती हैं कि मनुष्य का अस्तित्व इस विशाल संसार में बहुत अल्पकालिक और अस्थायी होता है। वह जन्म लेता है, कुछ समय के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है और फिर समाप्त हो जाता है। यह कविता निराशा, वैराग्य और दार्शनिक चिंतन को भी प्रकट करती है।
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