दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
निस्सहसे वे चंचल आये,
फेरे तन मेरे रंजन ने नयन इधर मन भाये।
फैला उनके तन का आलाप, मन में सर सरसाये,
छुए वे इस तन और नहीं, वे हंस उड़ छाये।
कहके ध्यान आज इस जन का किसने ये मुस्काये,
फूल उठे वे कंचन, मोर-से वे यवन हुलासे।
स्वागत, स्वागतम्, स्वर, भाष्य से सजे दर्शन प्रिये,
'मन' ने मोती ढाले, लो, वे अक्षु अक्षर ला लाये।
उपर्युक्त पद्यांश का संदर्भ लिखिए।
ससी के चंचल पक्षी दिखाने से क्या तात्पर्य है?
उल्लेखित अंश की व्याख्या कीजिए।
कवि ने पद्यांश में किस वस्तु का वर्णन किया है?
'मन' और 'अक्षर' शब्द के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
मन के पर्यायवाची:
अक्षर के पर्यायवाची:
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर गाँव की प्रकृति का गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतुओं के अनुभव वर्णन कीजिए। वहाँ के लोग गर्मी ऋतु के प्रकोप से बचने के लिए क्या उपाय करते थे?
‘अपना मालवा खाऊँ–उजाऊ सभ्यता में.....’ पाठ में विक्रमादित्य, भोज और मुँज आदि राजाओं का उल्लेख किस संदर्भ में आया है? स्पष्ट कीजिए।
‘तोड़ो’ कविता का कवि क्या तोड़ने की बात करता है और क्यों?
“इसी तरह भरता और खाली होता है यह शहर” पंक्ति के संदर्भ में बनारस शहर के ‘भरने’ और ‘खाली’ होने से क्या अभिप्राय है?
“मैंने निज दुर्बल पद-बल, उससे हारी होड़ लगाई” ‘देवसेना का गीत’ से उद्धृत इस पंक्ति से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?