दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
पद्यांश:
बीती विभावरी जाग री!
अंबर-पनघट में डूबा रही!
तारा-घर उषा-नागरी
खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा,
किसलय का अंबर डोल रहा,
लो यह ललिता भी भर लाई।
मधु मुकुल नवल रस गागर।
उपर्युक्त पद्यांश का श्रोत्र एवं कवि का नाम लिखिए।
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
आकाश रूपी पनघट पर कौन तारा रूपी घड़े को डुबो रहा है?
'खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
प्रस्तुत पद्यांश में प्रमुख रस का उल्लेख कीजिए।
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर गाँव की प्रकृति का गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतुओं के अनुभव वर्णन कीजिए। वहाँ के लोग गर्मी ऋतु के प्रकोप से बचने के लिए क्या उपाय करते थे?
‘अपना मालवा खाऊँ–उजाऊ सभ्यता में.....’ पाठ में विक्रमादित्य, भोज और मुँज आदि राजाओं का उल्लेख किस संदर्भ में आया है? स्पष्ट कीजिए।
‘तोड़ो’ कविता का कवि क्या तोड़ने की बात करता है और क्यों?
“इसी तरह भरता और खाली होता है यह शहर” पंक्ति के संदर्भ में बनारस शहर के ‘भरने’ और ‘खाली’ होने से क्या अभिप्राय है?
“मैंने निज दुर्बल पद-बल, उससे हारी होड़ लगाई” ‘देवसेना का गीत’ से उद्धृत इस पंक्ति से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?