दिए गए पद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
पद्यांश:
मुझे भूल मत मारो,
होकर मधु के मीत मदन, पग तुम कब, गलन न गारो,
मुझेविषमता, तुम्हें विषमाश्रु, कहाँ, भिन्न परिचय।
नहीं भीगने यह कोई, जो तुम जाल पसारो,
बल से तो सिंधु-बिंदु यह, यह रस रेन निहारो।
रज – वंद सरोज, तुम्हें तो मेरे पति पर बांधे,
लो, यह मेरी क्षण-पूर्ति, उस रीति के सिर पर धारे।
उपर्युक्त पद्यांश का संदर्भ लिखिए।
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
प्रस्तुत पद्यांश में उर्मिला ने अपने सिंधु-बिंदु को किसके समान बताया है?
'होकर मधु के मीत मदन' पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार लिखिए।
'मैं अकला चला विवशोग्रही, कुछ तो दया विचारो' में कौन सा रस प्रमुख किया गया है?
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर गाँव की प्रकृति का गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतुओं के अनुभव वर्णन कीजिए। वहाँ के लोग गर्मी ऋतु के प्रकोप से बचने के लिए क्या उपाय करते थे?
‘अपना मालवा खाऊँ–उजाऊ सभ्यता में.....’ पाठ में विक्रमादित्य, भोज और मुँज आदि राजाओं का उल्लेख किस संदर्भ में आया है? स्पष्ट कीजिए।
‘तोड़ो’ कविता का कवि क्या तोड़ने की बात करता है और क्यों?
“इसी तरह भरता और खाली होता है यह शहर” पंक्ति के संदर्भ में बनारस शहर के ‘भरने’ और ‘खाली’ होने से क्या अभिप्राय है?
“मैंने निज दुर्बल पद-बल, उससे हारी होड़ लगाई” ‘देवसेना का गीत’ से उद्धृत इस पंक्ति से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?