Question:

छायावाद की मुख्य प्रवृत्ति है 
 

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हिन्दी कविता के विभिन्न कालों (भक्तिकाल, रीतिकाल, छायावाद आदि) की कम से कम दो-दो प्रमुख प्रवृत्तियों को याद रखें। इससे आपको अंतर समझने में आसानी होगी।
Updated On: Nov 11, 2025
  • आश्रयदाताओं की प्रशंसा
  • रीतिग्रन्थों का निर्माण
  • श्रृंगार और प्रेम वेदना
  • भक्ति-भावना
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question
प्रश्न में छायावादी काव्य की मुख्य प्रवृत्ति (विशेषता) पूछी गई है।
Step 2: Detailed Explanation
छायावाद (लगभग 1918-1936) की मुख्य प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं:
श्रृंगार और प्रेम वेदना: छायावादी काव्य में प्रेम, सौंदर्य और विरह-वेदना का सूक्ष्म और आत्मानुभूतिपरक चित्रण है। इसमें स्थूलता के स्थान पर सूक्ष्मता है।
प्रकृति का मानवीकरण: प्रकृति को एक सजीव सत्ता मानकर उसका चित्रण किया गया है।
व्यक्तिवाद की प्रधानता: कवि की व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभूतियों की अभिव्यक्ति प्रमुख है।
रहस्यवाद: अज्ञात सत्ता के प्रति जिज्ञासा और प्रेम का भाव।
राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना: पराधीनता के विरुद्ध राष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति।
दिए गए विकल्पों में, 'श्रृंगार और प्रेम वेदना' छायावाद की एक प्रमुख प्रवृत्ति है। 'आश्रयदाताओं की प्रशंसा' और 'रीतिग्रन्थों का निर्माण' रीतिकाल की, तथा 'भक्ति-भावना' भक्तिकाल की मुख्य प्रवृत्तियाँ हैं।
Step 3: Final Answer
अतः, सही उत्तर (C) श्रृंगार और प्रेम वेदना है।
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