भाषा और संस्कृति पर आधारित पद्यांश
काटा थी संस्कृति विभाज, भ्रांति
बहु धर्म-जाति-गति रूप-नाम,
बंदी बंध-जीवन, भू बिनाश।
विज्ञान-मृदु, जन प्रकृति-काम,
आये वृद्ध पुरुष, कहली –
मिथ्या जड़ बन्धन, सत्यराम,
नानृतं ज्योति सत्यं, मा भैः,
जय ज्ञान-ज्योति, तुम्हें प्रणाम।
विगत संस्कृति में कौन-कौन सी दीवारें थीं?
'जड़बन्ध मिथ्या है और राम सत्य है' यह उद्घोष करने कौन आया?
'नानृतं ज्योति सत्यं' का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उल्लेखित अंश का भावार्थ लिखिए।
कविता का शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर गाँव की प्रकृति का गर्मी, सर्दी और वर्षा ऋतुओं के अनुभव वर्णन कीजिए। वहाँ के लोग गर्मी ऋतु के प्रकोप से बचने के लिए क्या उपाय करते थे?
‘अपना मालवा खाऊँ–उजाऊ सभ्यता में.....’ पाठ में विक्रमादित्य, भोज और मुँज आदि राजाओं का उल्लेख किस संदर्भ में आया है? स्पष्ट कीजिए।
‘तोड़ो’ कविता का कवि क्या तोड़ने की बात करता है और क्यों?
“इसी तरह भरता और खाली होता है यह शहर” पंक्ति के संदर्भ में बनारस शहर के ‘भरने’ और ‘खाली’ होने से क्या अभिप्राय है?
“मैंने निज दुर्बल पद-बल, उससे हारी होड़ लगाई” ‘देवसेना का गीत’ से उद्धृत इस पंक्ति से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?