Question:

भारतेंदु युग' की विशेषता (प्रवृत्ति) नहीं है : 
 

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किसी साहित्यिक युग की विशेषताओं का विश्लेषण करते समय, सूक्ष्मताओं पर ध्यान दें। भारतेंदु और द्विवेदी युग के लेखक अक्सर सुधारवादी थे; उन्होंने सामाजिक बुराइयों और पश्चिम की दासतापूर्ण नकल का विरोध किया, लेकिन आधुनिक शिक्षा जैसे प्रगतिशील साधनों का नहीं।
Updated On: Nov 10, 2025
  • राष्ट्रीयता की भावना
  • सामाजिक चेतना का विकास
  • अंग्रेज़ी शिक्षा का विरोध
  • काव्यभाषा के रूप में खड़ी बोली का प्रयोग
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

चरण 1: प्रश्न को समझना:
प्रश्न में उस विकल्प की पहचान करने के लिए कहा गया है जो 'भारतेंदु युग' की एक विशिष्ट विशेषता नहीं है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
आइए भारतेंदु युग की विशेषताओं का विश्लेषण करें:
- (A) राष्ट्रीयता की भावना: यह एक मुख्य विशेषता थी। इस युग के लेखकों ने देशभक्ति और ब्रिटिश शासन के तहत देश की स्थिति के लिए चिंता व्यक्त की।
- (B) सामाजिक चेतना का विकास: लेखकों ने बाल विवाह, जातिगत भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सक्रिय रूप से लिखा और महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की।
- (D) काव्यभाषा के रूप में खड़ी बोली का प्रयोग: जबकि ब्रजभाषा अभी भी कविता में प्रमुख थी, गद्य के लिए खड़ी बोली का प्रयोग दृढ़ता से स्थापित हो गया था, और इस युग के दौरान कविता में इसका प्रयोग शुरू हुआ। यह एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति थी।
- (C) अंग्रेज़ी शिक्षा का विरोध: यह गलत है। जबकि भारतेंदु युग के लेखकों ने पश्चिमी संस्कृति और ब्रिटिश शासन के नकारात्मक पहलुओं की आलोचना की, वे आम तौर पर अंग्रेजी शिक्षा के खिलाफ नहीं थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र सहित कई लोगों ने इसे भारत की प्रगति और आधुनिकीकरण के साधन के रूप में देखा, बशर्ते यह भारतीय मूल्यों के साथ संतुलित हो।
चरण 3: अंतिम उत्तर:
अंग्रेजी शिक्षा का पूर्ण विरोध भारतेंदु युग की विशेषता नहीं थी।
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