बलीहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कृश यमराज के दाँतों निःश्वास के समान धधकती लू में भी यह हरा भी है और भरा भी है, दुःख के चिन्तन से भी अधिक करुणा की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरसते रस कीचक सरस बना हुआ है।
और सूखे के मद्देनज़र से भी अधिक तृप्तिकर और तिक्त निराशा के भाव से भी अधिक पीड़ाहारी।
कठिन जीवन-शक्ति है। प्राण की जिजीविषा को पुष्टिकर करता है, जीवन-विघ्नों की निवृत्ति का कठिन जीवनाधार है।
प्राण की आतप को शीतल करता है, टूटते हृदयों को सहारा देता है।
यह पूर्वतानी हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों से, वहीं कहीं भगवती महादेव सगाई लगाए बैठे होंगे;
नीचे सपाट परतीली ज़मीं पसरी हुई है, किन्तु जहाँ-तहाँ जीवनतंतुश्री सरिताएँ आगे बढ़ने का मार्ग खोज रही होंगी –
वहीं वह झरना ऊबड़-खाबड़ ज़मीन में – सूखी, नीर, कठोर।
यहीं आकर आसीन मानकर बैठे हैं मेरे परिचारक दोस्त कुत्ज।
“सूक होइ बायस, पयउ चढ़त गिरि बर गहन।
जानु कृपानी सो दयालु, द्रवह सकल कबि मत कहन।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा छंद है?
निम्नलिखित में से शब्दालंकार का भेद नहीं है –
(A) अनुप्रास
(B) श्लेष
(C) उत्प्रेक्षा
(D) रूपक
(E) उत्क्रम
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
सूची-I (रस) | सूची-II (स्थायी भाव) |
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(A) रौद्र | (II) क्रोध |
(B) वीर | (I) उत्साह |
(C) भयानक | (IV) भय |
(D) शान्त | (III) शंका |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
“वीर तुम बढ़े चलो, वीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की गर्जना हो।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
सूची-I (लेखक) | सूची-II (रचना) |
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(A) जयशंकर प्रसाद | (III) कामायनी |
(B) सुमित्रानंदन पंत | (IV) उच्छवास |
(C) महादेवी वर्मा | (I) यामा |
(D) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | (II) राम की शक्ति पूजा |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
A ladder of fixed length \( h \) is to be placed along the wall such that it is free to move along the height of the wall.
Based upon the above information, answer the following questions:
(i)} Express the distance \( y \) between the wall and foot of the ladder in terms of \( h \) and height \( x \) on the wall at a certain instant. Also, write an expression in terms of \( h \) and \( x \) for the area \( A \) of the right triangle, as seen from the side by an observer.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
‘‘पुर्ज़े खोलकर फिर ठीक करना उतना कठिन काम नहीं है, लोग सीखते भी हैं, सिखाते भी हैं, अनाड़ी के हाथ में चाहे घड़ी मत दो पर जो घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास कर आया है उसे तो देखने दो । साथ ही यह भी समझा दो कि आपको स्वयं घड़ी देखना, साफ़ करना और सुधारना आता है कि नहीं । हमें तो धोखा होता है कि परदादा की घड़ी जेब में डाले फिरते हो, वह बंद हो गई है, तुम्हें न चाबी देना आता है न पुर्ज़े सुधारना तो भी दूसरों को हाथ नहीं लगाने देते इत्यादि ।’’