Question:

‘अपनी एक टाँग पर खड़ा है यह शहर
अपनी दूसरी टाँग से बिलकुल बेखबर’ — काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
 

Show Hint

यह पंक्तियाँ हमें शहर की आंतरिक असंतुलन और वर्ग-विभाजन की ओर ध्यान दिलाती हैं — कवि का उद्देश्य आलोचना नहीं, चेतावनी है।
Updated On: Jul 18, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

यह पंक्तियाँ आधुनिक शहरी व्यवस्था की असंतुलित, असंवेदनशील और अपूर्ण संरचना को उजागर करती हैं।
कवि ने 'एक टाँग पर खड़ा होना' अस्थिरता और कृत्रिम विकास का प्रतीक बनाया है,
जहाँ शहरों का विकास केवल एक वर्ग — धनी, सुविधा-सम्पन्न लोगों — को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
दूसरी ओर समाज का वह वर्ग जो निर्धन, श्रमिक, असहाय और जरूरतमंद है, उसे पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।
कवि कहते हैं कि यह शहर 'दूसरी टाँग से बेखबर' है — यानी यह व्यवस्था अपूर्ण और अन्यायपूर्ण है।
इन पंक्तियों में शहरी जीवन की एकतरफा सोच, भौतिकतावादी दृष्टिकोण और संवेदना के अभाव की आलोचना की गई है।
यह केवल भौगोलिक या भौतिक असंतुलन नहीं है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक विघटन की ओर संकेत करता है।
शहर जिन श्रमिकों, रिक्शाचालकों, कामगारों और निर्धनों पर टिका है, वही लोग हाशिए पर धकेल दिए गए हैं।
कविता हमें इस विकृति की ओर चेताती है और एक ऐसे समाज की मांग करती है जो समानता, संवेदना और समावेश पर आधारित हो।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on हिंदी साहित्य

View More Questions