Question:

'आश्रयदाताओं की प्रशंसा' निम्न में से किस काल/वाद की विशेषता रही है?

Show Hint

रीतिकाल = दरबारी संस्कृति, श्रृंगार और आश्रयदाता-स्तुति; छायावाद = अंतर्मन, प्रकृति; प्रगतिवाद = समाज-यथार्थ।
Updated On: Oct 11, 2025
  • रीतिवाद की
  • छायावाद की
  • अतिक्रियावाद की
  • प्रगतिवाद की
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is A

Solution and Explanation

Step 1: रीतिकाल का काव्य-परिदृश्य.
रीतिकाल (लगभग 1650–1850) में दरबारी संस्कृति प्रबल थी, जहाँ कवि प्रायः राजाओं/संरक्षकों (आश्रयदाताओं) की प्रशंसा में काव्य रचते थे।

Step 2: प्रवृत्तियों का मिलान.
रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ—श्रृंगार-चित्रण, नायिका-भेद, अलंकार-प्राधान्य, आश्रयदाताओं की वंदना—रहीं।

Step 3: विकल्प-जांच.
(1) रीतिवाद — सही; आश्रयदाता-स्तुति इसकी केन्द्रीय प्रवृत्ति थी।
(2) छायावाद — आत्मकेंद्रित/भावुक/प्रकृतिप्रिय काव्य; दरबारी स्तुति नहीं।
(3) अतिक्रियावाद — हिंदी में मान्य प्रमुख वाद नहीं।
(4) प्रगतिवाद — समाज-यथार्थ, वर्ग-चेतना; आश्रयदाता-स्तुति नहीं।

Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on हिंदी साहित्य

View More Questions