“आलोक-वृत्त खण्डकाव्य में सत्य-अहिंसा का सुन्दर समन्वय है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
कथन की व्याख्या – “सत्य–अहिंसा का सुन्दर समन्वय”
\(\textbf{आधार–विचार:}\) जब \(\textbf{सत्य}\) का नैतिक बल और \(\textbf{अहिंसा}\) की करुणा एक साथ चलती है, तब सामाजिक–राष्ट्रीय परिवर्तन टिकाऊ बनता है।
\(\textbf{Step 1: भूमिका}\)
‘आलोक–वृत्त’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का प्रसिद्ध खंडकाव्य है, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मूल आत्मा—\(\textbf{सत्य}\) और \(\textbf{अहिंसा}\)—को चित्रित किया गया है।
\(\textbf{Step 2: व्याख्या}\)
कवि दिखाते हैं कि महात्मा गांधी ने संघर्ष का आधार \(\textbf{सत्य}\) और \(\textbf{अहिंसा}\) को बनाया। सत्य में नैतिक दृढ़ता और आत्मबल है, जबकि अहिंसा करुणा, मानवता और सहानुभूति का संदेश देती है। दोनों का समन्वय जनता को संगठित करता है, अन्याय के विरुद्ध नैतिक वैधता देता है और वैमनस्य के बिना परिवर्तन का मार्ग खोलता है।
\(\textbf{Step 3: निष्कर्ष}\)
कथन स्पष्ट करता है कि जब \(\textbf{सत्य}\) और \(\textbf{अहिंसा}\) का संगम होता है, तब समाज और राष्ट्र को वास्तविक एवं स्थायी विजय प्राप्त होती है।
‘मुिक्तत्रय’ खण्डकाव्य के आधार पर गाँधीजी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
‘मुिक्तत्रय’ खण्डकाव्य की कथावस्तु
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य का कथानक और धृतराष्ट्र का चित्रण
‘सत्य की जीत’ के आधार पर धृतराष्ट्र का चित्रण
‘रिश्मरथी’ खण्डकाव्य का कथानक और कर्ण का चित्रण