‘सत्य की जीत’ के आधार पर धृतराष्ट्र का चित्रण
Step 1: भूिमका
धृतराष्ट्र महाभारत का एक महत्वपूर्ण पात्र है, जिसकी त्रुटियों और कमजोरियों ने महायुद्ध को जन्म दिया। दिनकर ने ‘सत्य की जीत’ में उसके चरित्र का चित्रण गहनता से किया है।
Step 2: स्वभाव और गुण
धृतराष्ट्र जन्मांध था। वह मोहग्रस्त और पुत्रमोह से ग्रस्त राजा था। वह जानते हुए भी कि दुर्योधन अधर्म के मार्ग पर चल रहा है, उसे रोक नहीं सका। उसकी यह कमजोरी उसके चरित्र की सबसे बड़ी कमजोरी है।
Step 3: दोष
धृतराष्ट्र में निर्णयक्षमता और न्यायप्रियता का अभाव था। वह धर्म और सत्य को जानते हुए भी अपने पुत्रों के प्रति अंधे प्रेम के कारण अधर्म का साथ देता रहा।
Step 4: निष्कर्ष
धृतराष्ट्र का चरित्र यह सिखाता है कि राजा को न्याय और धर्म का पालन करना चाहिए, अन्यथा उसका कमजोर चरित्र पूरे राष्ट्र को विनाश की ओर ले जाता है।
‘मुिक्तत्रय’ खण्डकाव्य के आधार पर गाँधीजी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
‘मुिक्तत्रय’ खण्डकाव्य की कथावस्तु
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य का कथानक और धृतराष्ट्र का चित्रण
‘रिश्मरथी’ खण्डकाव्य का कथानक और कर्ण का चित्रण
कर्ण का चित्रण (‘रिश्मरथी’ के आधार पर)