Question:

दिए गए संस्कृत गद्यांश का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। गद्यांश 1 –
एषा नगरी भारतीय संस्कृतेः संस्कृत भाषायाः केन्द्रस्थानम् अस्ति। इत एव संस्कृतवाङ्मयस्य संस्कृतेः आलोकः सर्वत्र प्रसृतः। मुघलयुवराजः दाराशिकोहः अग्रगण्य भारतीय दर्शन – शास्त्राणां अध्ययनम् अकरोत्। स तेजो ज्ञानं तथा प्राभामिवित्। भवतः, यत् तेन उपनिषदाम् अनुवादः पारसी भाषायां कृतः।

Show Hint

पहले गद्यांश में संस्कृत भाषा की महत्ता और दाराशिकोह द्वारा किए गए उपनिषदों के अनुवाद का उल्लेख है।
Updated On: Oct 27, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

संदर्भ:
यह गद्यांश भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा की महत्ता को प्रकट करता है। इसमें संस्कृत भाषा की केन्द्रस्थ भूमिका, उसके साहित्यिक आलोक और उसके व्यापक प्रभाव का वर्णन है। साथ ही इसमें मुघल युवराज दाराशिकोह का उल्लेख है, जिसने भारतीय दर्शन और उपनिषदों का अध्ययन कर उन्हें फारसी में अनूदित किया। अनुवाद (हिन्दी में):
यह नगरी भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा का केन्द्रस्थान है। इसी कारण संस्कृत वाङ्मय का प्रकाश यहाँ से सर्वत्र फैला। मुघल युवराज दाराशिकोह ने प्रमुख भारतीय दर्शन–शास्त्रों का अध्ययन किया। उसने उस ज्ञान और तेज को प्राप्त किया और उसी के प्रभाव से उसने उपनिषदों का अनुवाद फारसी भाषा में किया।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on संस्कृत गद्यांश

View More Questions