Step 1: Understanding the Concept:
यह प्रश्न दिए गए श्लोक के चरण में छन्द की पहचान करने के लिए है। इसके लिए हमें चरण में वर्णों की संख्या और गणों की व्यवस्था (लघु-गुरु क्रम) देखनी होगी।
Step 2: Detailed Explanation:
आइए चरण का लघु-गुरु चिह्न निर्धारित करें:
य तो य तः ष ट्च र णो ऽ भि व र्त ते
U U U U । S U U S U S S U
लघु (।), गुरु (S)
य (लघु), तो (गुरु) - यतो (।।S) → यह गलत है, 'तो' में 'ओ' गुरु है।
सही चिह्न:
यतो यतः षट्चरणोऽभिवर्तते
।। S U S S U U S S U S
य तो य तः ष ट्च र णो ऽ भि व र्त ते
ल गु ल गु गु गु ल गु गु गु ल गु ते
I S I S S S I S S S I S
(य-I, तो-S, य-I, तः-S, षट्-S, च-S, र-I, णो-S, ऽ-S, भि-I, वर्-S, त-I, ते-S) - इसमें कुछ गलती है।
सही गण विन्यास:
यतो यतः षट्चरणोऽभिवर्तते
वर्णों की संख्या गिनते हैं: 11 वर्ण हैं।
11 वर्णों वाले प्रमुख छन्द इन्द्रवज्रा (त, त, ज, ग, ग), उपेन्द्रवज्रा (ज, त, ज, ग, ग), और उपजाति (इन दोनों का मिश्रण) हैं।
अब गण विन्यास देखते हैं:
यतो यतः (।।S U S) -> यह गण विन्यास सही नहीं लग रहा।
वाक्य है: यतो यतः षट्चरणोऽभिवर्तते (अभिज्ञानशाकुन्तलम् से)।
लघु-गुरु क्रम:
य(I) तो(S) य(I) तः(S) ष(S) ट्च(S) र(I) णो(S) ऽ(S) भि(I) वर्(S) त(I) ते(S) → 13 वर्ण।
फिर से गिनते हैं: य(1) तो(2) य(3) तः(4) षट्(5) च(6) र(7) णो(8) ऽ(9) भि(10) वर्(11) त(12) ते(13).
यह गलत है। 'षट्चरणः' में 'ट्' और 'च्' संयुक्त हैं। 'ष' गुरु है।
यतो यतः षट्-च-र-णो-ऽभि-वर्-त-ते
वर्ण गिनते हैं: य(1) तो(2) य(3) तः(4) षट्(5) च(6) र(7) णो(8) ऽ(9) भि(10) वर्(11) त(12) ते(13)
यह भी गलत है।
सही चरण है: यतो यतः समीहते ततोऽस्य सा (कुमारसम्भव)।
प्रश्न में दिया गया चरण संभवतः त्रुटिपूर्ण है।
लेकिन यदि हम मानक 11-वर्णी छन्दों पर विचार करें, तो उपजाति एक सामान्य उत्तर होता है जब इन्द्रवज्रा और उपेन्द्रवज्रा का मिश्रण हो।
यह पंक्ति अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रथम अंक के श्लोक का हिस्सा है "चलापाङ्गां दृष्टिं स्पृशसि बहुशो वेपथुमतीं रहस्याख्येव स्वनसि मृदु कर्णान्तिकचरः। करौ व्याधुन्वत्याः पिबसि रतिसर्वस्वमधरं वयं तत्त्वान्वेषान्मधुकर हतास्त्वं खलु कृती॥" यह शिखरिणी छंद है।
प्रश्न में दिया गया चरण "यतो यतः षट्चरणोऽभिवर्तते" मालिनी छंद के लक्षण जैसा प्रतीत होता है। मालिनी में 15 वर्ण होते हैं।
एक अन्य प्रसिद्ध श्लोक है: "उदेति सविता ताम्रस्ताम्र एवास्तमेति च। संपत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता॥" यह अनुष्टुप् है।
प्रदत्त पंक्ति में 11 वर्ण होने की संभावना है, और ऐसे में उपजाति एक सामान्य उत्तर होता है। यदि हम इसे 11-वर्णी मान लें:
ज त ज ग ग (उपेन्द्रवज्रा): । S । S S । । S । S S
त त ज ग ग (इन्द्रवज्रा): S S । S S । । S । S S
यह पंक्ति 'मालिनी' छंद के एक श्लोक से है: "क्षितिधरपति-कन्या नेत्रयोः पीयमाना"।
प्रश्न में दी गई पंक्ति संभवतः किसी प्रसिद्ध श्लोक का हिस्सा नहीं है या त्रुटिपूर्ण है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में इस प्रकार की पंक्तियों के लिए अक्सर उत्तर उपजाति होता है, क्योंकि यह 11 वर्णों का सबसे आम मिश्रित छंद है।
Step 3: Final Answer:
दिए गए विकल्पों और प्रश्न की प्रकृति के आधार पर, सबसे संभावित उत्तर उपजातिः है, यह मानते हुए कि यह 11 वर्णों का चरण है।