चरण 1: प्रश्न को समझें
यह प्रश्न 'यथापूर्व' शब्द में प्रयुक्त समास का प्रकार पहचानने के लिए कहता है। समास दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से एक नया सार्थक शब्द बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें शब्दों का संक्षिप्तीकरण होता है। हिंदी में समास के मुख्यतः छह भेद होते हैं।
चरण 2: 'यथापूर्व' शब्द का विश्लेषण करें
शब्द: यथापूर्व
विग्रह (समास-विग्रह): जैसा पूर्व में था / पूर्व के अनुसार
इस शब्द में 'यथा' पहला पद है। 'यथा' एक अव्यय (ऐसा शब्द जिस पर लिंग, वचन, कारक का कोई प्रभाव न पड़े) है।
'यथापूर्व' पूरा शब्द मिलकर एक क्रिया-विशेषण (adverb) का कार्य करता है, जैसे "वह यथापूर्व कार्य करता है।"
चरण 3: विभिन्न समास के लक्षणों का विश्लेषण करें
(A) कर्मधारय समास: इस समास में एक पद विशेषण (adjective) होता है और दूसरा विशेष्य (noun), या एक उपमेय (object of comparison) और दूसरा उपमान (standard of comparison) होता है। दोनों पद एक ही वस्तु या व्यक्ति को इंगित करते हैं। (जैसे: नीलकमल - नीला है जो कमल)। 'यथापूर्व' इस श्रेणी में नहीं आता।
(B) द्विगु समास: इस समास का पहला पद संख्यावाची विशेषण होता है और यह किसी समूह या समाहार का बोध कराता है। (जैसे: त्रिभुज - तीन भुजाओं का समूह)। 'यथा' संख्यावाची नहीं है, अतः यह द्विगु समास नहीं है।
(C) अव्ययीभाव समास: इस समास में पहला पद (पूर्वपद) अव्यय या उपसर्ग होता है और वही प्रधान होता है। समस्त पद मिलकर क्रिया-विशेषण का कार्य करता है और उस पर लिंग, वचन, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 'यथा' एक अव्यय है और 'यथापूर्व' शब्द एक क्रिया-विशेषण की तरह प्रयुक्त होता है। (जैसे: यथाशक्ति, प्रतिदिन, आजन्म)।
(D) बहुव्रीहि समास: इस समास में दोनों पद गौण होते हैं और वे मिलकर किसी तीसरे पद या अन्य व्यक्ति/वस्तु की विशेषता बताते हैं। (जैसे: नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव)। 'यथापूर्व' किसी तीसरे अर्थ की ओर संकेत नहीं करता।
चरण 4: सही उत्तर की पहचान करें
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि 'यथापूर्व' शब्द 'अव्ययीभाव समास' का उदाहरण है, क्योंकि इसका पहला पद 'यथा' एक अव्यय है और समस्त पद क्रिया-विशेषण के रूप में कार्य करता है।
सही उत्तर है $\boxed{\text{(C) अव्ययीभाव}}$।