चरण 1: मिशन के नाम और उद्देश्य को समझें
आदित्य L1 मिशन का नाम "आदित्य" है, जो संस्कृत और हिंदी में 'सूर्य' को संदर्भित करता है। 'L1' लैग्रेंज बिंदु 1 को दर्शाता है, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच का एक ऐसा स्थान है जहाँ से सूर्य का लगातार और बिना किसी रुकावट के अवलोकन किया जा सकता है। यह नाम और स्थान दोनों ही स्पष्ट रूप से मिशन के सूर्य के अध्ययन से संबंधित होने का संकेत देते हैं।
चरण 2: विकल्पों का विश्लेषण करें
(A) शुक्र: इसरो का शुक्र ग्रह के लिए नियोजित मिशन 'शुक्रयान-1' है, न कि आदित्य L1। इसलिए, यह विकल्प गलत है।
(B) सूर्य: 'आदित्य' नाम और L1 बिंदु पर इसकी स्थिति सीधे तौर पर सूर्य के अध्ययन से संबंधित है। आदित्य L1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी वायुमंडल (क्रोमोस्फीयर और कोरोना), सौर उत्सर्जन, सौर पवन, सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) का अध्ययन करना है। इसलिए, यह विकल्प सही है।
(C) चंद्रमा: इसरो के चंद्रमा मिशनों को 'चंद्रयान' श्रृंखला के नाम से जाना जाता है। इसलिए, यह विकल्प गलत है।
(D) मंगल: इसरो का मंगल ग्रह का मिशन 'मंगलयान' (मंगल ऑर्बिटर मिशन) है। इसलिए, यह विकल्प गलत है।
चरण 3: सही उत्तर की पहचान करें
विश्लेषण के आधार पर, यह स्पष्ट है कि इसरो का आदित्य L1 मिशन सूर्य के अध्ययन से संबंधित है।
सही उत्तर है $\boxed{\text{(B) सूर्य}}$।