विशेष लेखन की भाषा–शैली सामान्य लेखन से अलग कैसे है ?
विशेष लेखन में विषय की जटिलता, गहराई और वैज्ञानिकता होती है, इसलिए उसकी भाषा-शैली कुछ भिन्न होती है:
(a) विषय के अनुरूप विश्लेषणात्मक एवं सूचनात्मक शैली का प्रयोग होता है।
(b) शब्द चयन सटीक, गंभीर और तकनीकी होता है।
(c) पाठकों को तथ्य और निष्कर्ष दोनों एकसाथ देने की अपेक्षा होती है।
(d) सामान्य लेखन में सरस भाषा का प्रयोग होता है, जबकि विशेष लेखन में तार्किक प्रस्तुति प्रमुख होती है।
इलैक्ट्रॉनिक वाहन : समय की माँग — 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए:
परसेवा का आनंद — 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए:
ऐतिहासिक धरोहर : देश की पहचान — 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए:
नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन को पाठ में खुले मैदान में दौड़ने, कूदने और कुलाँचें भरने के समान क्यों कहा गया है ?
रेडियो नाटक और रंगमंच पर खेले जाने वाले नाटक में क्या अंतर है ?
Let \( \vec{a} \) and \( \vec{b} \) be two co-initial vectors forming adjacent sides of a parallelogram such that:
\[
|\vec{a}| = 10, \quad |\vec{b}| = 2, \quad \vec{a} \cdot \vec{b} = 12
\]
Find the area of the parallelogram.
“बिसनाथ को अपने गाँव बिस्कोहर से जो लगाव है वह मूलतः मनुष्य की अपनी स्मृतियों के प्रति लगाव का ही एक रूप है।” ‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर सोदाहरण टिप्पणी कीजिए।
“झोंपड़े की आग ईर्ष्या की आग की भाँति कभी नहीं बुझती।” ‘सूरदास की झोंपड़ी’ पाठ में किसकी ईर्ष्या का उल्लेख किया गया है? ईर्ष्या का कारण क्या है? क्या आपको लगता है कि वह कारण सहज, स्वाभाविक और मानवीय है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।