Question:

निबंध लिखिए :
विज्ञान : वरदान या अभिशाप 
 

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निबन्ध लिखते समय एक रूपरेखा (outline) अवश्य बनाएँ। वरदान और अभिशाप वाले निबन्ध में दोनों पक्षों पर बराबर ध्यान दें और अंत में एक संतुलित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

रूपरेखा:
प्रस्तावना (विज्ञान का अर्थ और युग)
विज्ञान के वरदान (विभिन्न क्षेत्रों में लाभ)
विज्ञान के अभिशाप (हानियाँ)
उपसंहार (समन्वय की आवश्यकता)
1. प्रस्तावना
आज का युग विज्ञान का युग है। हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के प्रभाव से अछूता नहीं है। सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक, हम अनेक वैज्ञानिक आविष्कारों का उपयोग करते हैं। विज्ञान ने मनुष्य को असीमित शक्ति प्रदान की है और हमारे जीवन को अत्यंत सरल, सुखद और आरामदायक बना दिया है। परन्तु, सिक्के के दो पहलुओं की तरह, विज्ञान के लाभ के साथ-साथ हानियाँ भी हैं। यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इसे वरदान बनाए या अभिशाप। 2. विज्ञान के वरदान
विज्ञान ने मानव जीवन को अनेक वरदान दिए हैं:
यातायात और संचार: बस, रेल, हवाई जहाज ने दूरियों को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट ने संचार को अत्यंत तीव्र और सरल बना दिया है।
चिकित्सा: विज्ञान ने असाध्य रोगों का इलाज संभव बनाया है। नई-नई दवाइयों और शल्य-चिकित्सा की पद्धतियों ने मनुष्य को दीर्घायु बनाया है।
मनोरंजन: रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा और कंप्यूटर ने मनोरंजन के अनेक साधन प्रदान किए हैं।
कृषि और उद्योग: ट्रैक्टर, रासायनिक खाद, और उन्नत बीजों से कृषि उत्पादन में क्रांति आई है। बड़ी-बड़ी मशीनों ने उत्पादन को तीव्र गति दी है।
दैनिक जीवन: बिजली, पंखा, कूलर, फ्रिज जैसे आविष्कारों ने हमारे दैनिक जीवन को बहुत आरामदायक बना दिया है।
3. विज्ञान के अभिशाप
जहाँ विज्ञान ने मनुष्य को सुख-सुविधाएँ दी हैं, वहीं कुछ गंभीर खतरे भी उत्पन्न किए हैं:
विनाशकारी हथियार: परमाणु बम, हाइड्रोजन बम जैसे हथियारों ने सम्पूर्ण मानवता को विनाश के कगार पर खड़ा कर दिया है।
पर्यावरण प्रदूषण: कारखानों के धुएँ, वाहनों के प्रदूषण और रासायनिक कचरे ने हमारे पर्यावरण को जहरीला बना दिया है।
बेरोजगारी: मशीनों के अत्यधिक प्रयोग ने मनुष्यों के रोजगार छीन लिए हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ी है।
नैतिक पतन: मोबाइल और इंटरनेट के दुरुपयोग से युवा पीढ़ी में नैतिक पतन और शारीरिक निष्क्रियता बढ़ रही है।
4. उपसंहार
वास्तव में, विज्ञान न तो वरदान है और न ही अभिशाप। यह एक शक्ति है, जिसका उपयोग अच्छे और बुरे, दोनों कामों के लिए किया जा सकता है। यह मनुष्य के विवेक पर निर्भर करता है कि वह इसका प्रयोग मानव कल्याण के लिए करे या विनाश के लिए। यदि हम विज्ञान का उपयोग रचनात्मक कार्यों और मानवता की भलाई के लिए करें, तो यह हमारे लिए एक महान वरदान सिद्ध होगा।
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