Question:

तोड़ो तोड़ो तोड़ो 
ये पत्थर ये चट्टानें 
ये काले बंधन टूटें 
तो धरती की हम जाएँ 
सुनते हैं मिट्टी में रस है जिसमें आती दूब है 
अपने मन के मैदानों पर प्यासी कैसी ऊब है 
आँखे आँसू गोले 
तोड़ो तोड़ो तोड़ो 
ये उमर इन तोड़ों 
ये चमड़ी पथरीली तोड़ो 
सब खेत बनाकर छोड़ो 
 

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सप्रसंग व्याख्या में हमेशा ‘संदर्भ–प्रसंग–व्याख्या–निष्कर्ष’ की शृंखला का पालन करें और भावार्थ को विस्तारपूर्वक समझाएँ।
Updated On: Jul 18, 2025
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Solution and Explanation

संदर्भ:
उपरोक्त पंक्तियाँ समकालीन हिंदी कविता की एक प्रगतिशील और विद्रोही चेतना को प्रकट करती हैं।
इस कविता में कवि समाज में व्याप्त जड़ता, अन्याय और क्रूरता को तोड़ने की प्रेरणा देता है।
प्रसंग:
यह कविता सामाजिक क्रांति और आंतरिक परिवर्तन की पुकार है।
कवि हमें यह आह्वान करता है कि हमें अपने चारों ओर के कठोर, बंधनकारी और अन्यायपूर्ण ढाँचों को तोड़ना होगा।
केवल तब हम एक बेहतर, न्यायपूर्ण और जीवनदायिनी भूमि की ओर बढ़ सकते हैं।
व्याख्या:
‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ – यह आवाहन किसी साधारण कार्य का नहीं, बल्कि आंदोलन, क्रांति और बदलाव का प्रतीक है।
कवि कहता है कि पत्थर और चट्टानों के रूप में जो रुकावटें हमारे जीवन में हैं – जैसे जातिवाद, गरीबी, उत्पीड़न, असमानता – उन्हें तोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
‘काले बंधन’ प्रतीक हैं उन रूढ़ियों और बंधनों के जो व्यक्ति और समाज की उन्नति में बाधा बनते हैं।
कवि चाहता है कि इन बंधनों को तोड़कर धरती तक पहुँचा जाए — यानी जीवन की जड़ों तक, मूल्यों तक पहुँचा जाए।
‘मिट्टी में रस है जिसमें आती दूब है’ – यह पंक्ति दर्शाती है कि परिवर्तन और आशा की संभावनाएँ धरती में समाहित हैं।
परन्तु हमारे ‘मन के मैदानों’ पर निराशा और ऊब का वातावरण है — यानी भीतर ही भीतर हम सूख चुके हैं।
इसलिए हमें बाह्य और आंतरिक स्तर पर क्रांति करनी होगी।
‘उम्र’, ‘चमड़ी’, ‘पथरीले’ जैसे शब्द मनुष्य के तन-मन की जड़ता और संवेदनहीनता को दर्शाते हैं।
कवि चाहता है कि यह पथरीली व्यवस्था समाप्त हो और उसे उत्पादक, समृद्ध ‘खेतों’ में बदला जाए।
'खेत बनाकर छोड़ो’ का अर्थ है — स्थायी परिवर्तन करो, केवल तोड़ो मत, निर्माण भी करो।
इस कविता का स्वर विरोध नहीं, बल्कि रचनात्मक विद्रोह का है। यह केवल नष्ट करने की नहीं, नया गढ़ने की भावना से प्रेरित है।
निष्कर्ष:
यह कविता हमें संघर्ष, साहस और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश देती है।
कवि केवल तोड़ने की नहीं, बल्कि नव निर्माण की बात करता है।
यह काव्यांश हर उस व्यक्ति को प्रेरित करता है जो जड़ता और अन्याय से संघर्ष कर एक बेहतर दुनिया का सपना देखता है।
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