Step 1: Calculate Sale Value of Machinery Sold
Cost of machinery sold = Rs. 1,40,000
Less: Accumulated Depreciation = Rs. 90,000
$\Rightarrow$ Book Value = Rs. 50,000
Gain on sale = Rs. 10,000
$\Rightarrow$ Sale Price = Rs. 50,000 + Rs. 10,000 = Rs. 60,000
Step 2: Calculate Purchase of Machinery
Let machinery purchased = Rs. $x$
Opening Gross Block = Rs. 50,00,000
Less: Cost of machinery sold = Rs. 1,40,000
Add: Purchases = $x$
Closing Gross Block = Rs. 70,00,000
$70,00,000 = 50,00,000 - 1,40,000 + x \Rightarrow x = 21,40,000$
Step 3: Calculate Cash Flow from Investing Activities
Outflow: Purchase of Machinery = Rs. 21,40,000
Inflow: Sale of Machinery = Rs. 60,000
$\textbf{Net Cash Used in Investing Activities} = 21,40,000 - 60,000 = Rs. 20,80,000$
Final Answer:
$\boxed{\text{Cash Used in Investing Activities} = \text{Rs. } 20,80,000}$
From the following information extracted from the books of Kant Ltd., calculate ‘Cash Flows from Operating Activities’.
‘सदानीरा नदियाँ अब माताओं के गालों के आँसू भी नहीं बहा सकतीं’ कथन के संदर्भ में लिखिए देश के अन्य हिस्सों में नदियों की क्या स्थिति है और इसके क्या कारण हैं?
‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के आधार पर बिस्कोहर में होने वाली वर्गों का वर्णन कीजिए, साथ ही गाँव वालों को उनके बारे में होने वाली किन भ्रांतियों का उल्लेख कीजिए।
‘सूरदास की झोपड़ी’ पाठ सूरदास जैसे लाचार और बेबस व्यक्ति की जिजीविषा एवं उसके संघर्ष का अनूठा चित्रण है। सिद्ध कीजिए।
जो समझता है कि वह दूसरों का उपकार कर रहा है वह अभोला है, जो समझता है कि वह दूसरे का उपकार कर रहे हैं वह मूर्ख है।
उपकार न किसी ने किया है, न किसी पर किया जा सकता है।
मूल बात यह है कि मनुष्य जीता है, केवल जीने के लिए।
आपने इच्छा से कर्म, इतिहास-विज्ञान की योजना के अनुसार, किसी को उससे सुख मिल जाए, यही सौभाग्य है।
इसलिए यदि किसी को आपके जीवन से कुछ लाभ पहुँचा हो तो उसका अहंकार नहीं, आनन्द और विनय से तितलें उड़ाइए।
दुख और सुख तो मन के विकल्प हैं।
सुखी वह है जिसका मन मरा नहीं है, दुखी वह है जिसका मन पस्त है।
ये लोग आधुनिक भारत के नए ‘शरणार्थी’ हैं, जिन्हें औद्योगीकरण के झंझावात ने अपने घर-ज़मीन से
उखाड़कर हमेशा के लिए विस्थापित कर दिया है।
प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है।
बाढ़ या भूकंप के कारण जो लोग एक बार अपने स्थान से बाहर निकलते हैं, वे जब स्थिति टलती है तो वे दोबारा अपने
जन्म-भूमीय परिवेश में लौट भी आते हैं।
किन्तु विकास और प्रगति के नाम पर जब इतिहास लोगों को जड़मूल सहित उखाड़ता है, तो वे अपनी ज़मीन पर
वापस नहीं लौट पाते।
उनका विस्थापन एक स्थायी विस्थापन बन जाता है।
ऐसे लोग न सिर्फ भौगोलिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी नहीं उखड़ते, बल्कि उसका सामाजिक और
आवासीय स्तर भी हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।