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स्वंय लेखन से आप क्या समझते हैं ? 
 

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स्वंय लेखन को केवल ‘लेखक की स्वतंत्रता’ नहीं, उसकी ‘अंतःप्रेरणा’ के रूप में समझें।
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Solution and Explanation

स्वंय लेखन वह प्रक्रिया है जिसमें लेखक अपने विचार, अनुभव, भावनाएँ या दृष्टिकोण को स्वतंत्र रूप से शब्दों में ढालता है — बिना किसी बाहरी निर्देश, दबाव या पूर्वनिर्धारित विषय के।
यह लेखन आत्म-अनुशासन, मौलिकता और रचनात्मकता का परिचायक होता है।
लेखक अपने जीवन की घटनाओं, सामाजिक परिवेश, विचारधाराओं या कल्पनाओं को स्वतः प्रेरणा से अभिव्यक्त करता है।
स्वंय लेखन के अंतर्गत डायरी लेखन, आत्मकथ्य, स्वतंत्र विचार लेखन, निजी ब्लॉग, आदि आ सकते हैं।
यह लेखन व्यक्ति की वैचारिक परिपक्वता, आत्मविश्वास और स्वतंत्र दृष्टिकोण का भी प्रतीक होता है।
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