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संस्कृत में आठ वाक्यों में निबन्ध लिखिए :सत्सङ्गतिः

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संस्कृत में निबन्ध लिखते समय सरल, शुद्ध और छोटे वाक्यों का प्रयोग करें। एक ही विचार को बार-बार न दोहराएँ। विभक्ति और क्रिया-रूपों का सही प्रयोग करें।
Updated On: Nov 17, 2025
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Solution and Explanation

सत्सङ्गतिः
सतां सङ्गतिः सत्सङ्गतिः कथ्यते। (सज्जनों की संगति को सत्संगति कहते हैं।)
सत्सङ्गतिः मनुष्यस्य कृते एका महती निधिः अस्ति। (सत्संगति मनुष्य के लिए एक बड़ी निधि है।)
सत्सङ्गत्या मानवस्य बुद्धिः तीव्रा भवति, तस्य अज्ञानं च नश्यति। (सत्संगति से मनुष्य की बुद्धि तीव्र होती है और उसका अज्ञान नष्ट होता है।)
सत्सङ्गः मनुष्येभ्यः सम्मानं कीर्तिं च ददाति। (सत्संग मनुष्य को सम्मान और यश देता है।)
दुर्जनस्य संसर्गेण मनुष्यः दुष्टः भवति। (दुष्ट व्यक्ति के साथ से मनुष्य दुष्ट हो जाता है।)
अतः सर्वदा सज्जनानां सङ्गतिः करणीया। (इसलिए हमेशा सज्जनों की संगति करनी चाहिए।)
सत्सङ्गतिः कल्पलतेव सर्वाः इच्छाः पूरयति। (सत्संगति कल्पलता के समान सभी इच्छाओं को पूरा करती है।)
वस्तुतः सत्सङ्गतिः मनुष्यस्य सर्वविधाम् उन्नतिं करोति। (वास्तव में सत्संगति मनुष्य की सभी प्रकार से उन्नति करती है।)
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