Question:

“सिंधु सभ्यता राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर पूरी तरह से समाज-पोषित थी।” ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर इस कथन को सिद्ध कीजिए।

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ऐतिहासिक पाठ के उत्तर में तथ्य, उदाहरण और निष्कर्ष — तीनों स्पष्ट करें।
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Solution and Explanation

‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के अनुसार सिंधु सभ्यता न तो किसी राजा के आदेश से पनपी थी और न ही किसी धर्म की स्थापना से संचालित थी।
यह सभ्यता जन-सहभागिता, सामाजिक अनुशासन और सामूहिक श्रम की देन थी।
इस सभ्यता में न राजसी महल पाए गए, न विशाल मंदिर या मूर्तियों की पूजा के प्रमाण। इसके स्थान पर व्यवस्थित नगर योजना, जल निकासी, भवन निर्माण और श्रमिक कौशल की भरपूर झलक मिलती है।
यही दर्शाता है कि समाज स्वयं व्यवस्था, कला और जीवन पद्धति का वाहक था।
धर्म या राज्य सत्ता के बिना भी एक सुसंस्कृत और सुव्यवस्थित समाज संभव है — यही संदेश सिंधु सभ्यता से प्राप्त होता है।
इसलिए यह कहना यथोचित है कि सिंधु सभ्यता समाज-पोषित सभ्यता थी, जहाँ सामान्य जन की भूमिका केंद्रीय थी।
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