Question:

'श्रृंगार रस' अथवा 'वीभत्स रस' की परिभाषा लिखकर उसका उदाहरण दीजिए।

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श्रृंगार रस में प्रेम और सौंदर्य की अभिव्यक्ति होती है, जबकि वीभत्स रस में घृणा और जुगुप्सा की भावना व्यक्त की जाती है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

श्रृंगार रस: श्रृंगार रस प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण को दर्शाने वाला रस है। यह मुख्यतः ‘रति’ भाव से उत्पन्न होता है। इसका स्थायी भाव ‘रति’ होता है और यह विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों द्वारा पुष्ट होता है।
उदाहरण: कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात। भरे भवन में करत हैं, नैनन ही सों बात॥ (इस दोहे में नायक-नायिका के नेत्रों के संकेत से होने वाली श्रृंगारिक चेष्टाओं का वर्णन किया गया है।)
वीभत्स रस: वीभत्स रस घृणा, जुगुप्सा और विकार उत्पन्न करने वाला रस है। इसका स्थायी भाव ‘जुगुप्सा’ होता है और यह विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों द्वारा अभिव्यक्त होता है।
उदाहरण: रुधिर बहत चहुँ ओर, कटे मस्तक गिरत धरा पर। शव सड़त दुर्गंध उठत, जड़ मन घृणा भरत भीतर॥ (इस दोहे में युद्ध के भयावह दृश्य और वीभत्सता का चित्रण किया गया है।)
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