Question:

शिरीष को अवधूत क्यों कहा गया है ? इसके माध्यम से लेखक ने क्या प्रेरणा दी है ?

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‘अवधूत’ शब्द को प्रतीक के रूप में समझें — यह त्याग और मानसिक शक्ति का संकेतक है।
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Solution and Explanation

‘शिरीष के फूल’ निबंध में लेखक शिरीष वृक्ष की अद्वितीय विशेषताओं का वर्णन करता है। शिरीष को ‘अवधूत’ कहा गया है क्योंकि वह वृक्ष जीवन की कठोरता और प्रतिकूलता में भी अडिग रहता है। तेज़ धूप, आँधी, वर्षा – इन सब के बीच भी शिरीष अपनी सुंदरता, कोमलता और सुगंध को बरकरार रखता है।
लेखक के अनुसार, अवधूत वह होता है जो संसारिक परिस्थितियों से ऊपर उठकर आत्म-नियंत्रण और मानसिक संतुलन के साथ जीवन व्यतीत करता है। शिरीष इसी आदर्श का प्रतीक है। वह ना केवल वातावरण की कठिनाइयों को सहता है, बल्कि दूसरों को प्रेरणा भी देता है। उसकी उपस्थिति यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, हमें अपने अस्तित्व, मूल्यों और सौंदर्य को बनाए रखना चाहिए।
प्रेरणा: लेखक शिरीष के माध्यम से यह प्रेरणा देता है कि मनुष्य को भी शिरीष की तरह धैर्य, सहनशीलता और आत्मबल के साथ जीना चाहिए। यदि हम परिस्थितियों से टूटने के बजाय उनसे जूझने का साहस रखें, तो हम भी जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
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