Question:

शिरीष के फल-फूलों के विषय में लेखक और कालिदास के विचारों का विरोधाभास पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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विरोधाभास दर्शाते समय दोनों पक्षों की तुलना अवश्य करें।
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Solution and Explanation

‘शिरीष के फूल’ पाठ में लेखक और कालिदास दोनों ने शिरीष वृक्ष का उल्लेख किया है, परंतु दोनों के दृष्टिकोण में मौलिक अंतर है। कालिदास ने अपने काव्य में शिरीष को अत्यंत कोमल, नाजुक और सौंदर्यपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, शिरीष के फूल इतने हल्के होते हैं कि जब वे भूमि पर गिरते हैं, तो उनकी आहट भी सुनाई नहीं देती।
इसके विपरीत लेखक का दृष्टिकोण अधिक व्यावहारिक और जीवन-संघर्ष से जुड़ा हुआ है। लेखक शिरीष की कोमलता के साथ-साथ उसकी सहनशक्ति, धैर्य और कठिन परिस्थितियों में भी खिले रहने की क्षमता पर प्रकाश डालता है। लेखक के अनुसार, शिरीष कठोर धूप, लू और तेज़ बारिश को सहन करता है और फिर भी अपनी कोमलता को बरकरार रखता है।
इस प्रकार लेखक कालिदास के सौंदर्य-आलोकित दृष्टिकोण से हटकर शिरीष को संघर्षशील और सहिष्णु वृक्ष के रूप में प्रस्तुत करता है। यह विरोधाभास शिरीष को केवल सौंदर्य का प्रतीक न मानकर, जीवन जीने की प्रेरणा देने वाला आदर्श भी बनाता है।
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