चरण 1: लॉक का अनुभववाद।
जॉन लॉक के अनुसार मन जन्म के समय खाली पट्ट (tabula rasa) है। ज्ञान के दो स्रोत हैं—संवेदन (बाह्य अनुभव) और प्रतिवर्तन या अन्तरावलोकन (मन की अपनी क्रियाओं का अनुभव)। इन्हीं से मन में प्रत्यय/आइडिया जन्म लेते हैं।
चरण 2: सरल बनाम जटिल प्रत्यय।
सरल प्रत्यय अविभाज्य, मूल तत्व हैं—रंग, गन्ध, कठोरता, संख्या, गति आदि—जिन्हें मन न तो गढ़ सकता, न नष्ट कर सकता है; वह केवल उन्हें ग्रहण करता है। जटिल प्रत्यय इन्हीं सरल प्रत्ययों के संयोजन, तुलना, और अमूर्तन से बनते हैं—जैसे पदार्थ की अवधारणा, संबंध, कारण, नैतिक विचार आदि। इस प्रकार जटिल ज्ञान सरल अनुभूतियों पर रचा जाता है।
चरण 3: विकल्प-तुलना।
बर्कले अनुभूति-आधारित आदर्शवाद देता है और ह्यूम प्रत्ययों को इम्प्रेशन/आइडिया में बाँटता है; किंतु सरल–जटिल प्रत्यय का स्पष्ट वर्गीकरण लॉक का है। इसलिए सही उत्तर (1)।