चरण 1: 'अनुभववाद' की पहचान।
अनुभववाद (Empiricism) वह मत है जिसके अनुसार समस्त यथार्थ ज्ञान का स्रोत मुख्यतः इन्द्रिय-अनुभव है; मन में कोई जन्मजात (innate) विचार नहीं होते।
चरण 2: ह्यूम का प्रतिपादन।
डेविड ह्यूम अनुभववादी परम्परा (लॉक, बर्कले) का सबसे सुसंगत दार्शनिक है। उसने मन की सामग्रियों को impressions (तत्काल प्रबल अनुभूति) और ideas (उनकी मन्द प्रतिलिपि) में बाँटा। कारणता, आत्म-एकता, पदार्थ—ये सब कठोर तर्क से नहीं, बल्कि आदत/निरन्तर सहसंबंध के कारण बने विश्वास हैं। अतः ज्ञान का मानदण्ड अनुभव है, न कि तर्क से निकले जन्मजात सिद्धान्त।
चरण 3: विकल्पों का उन्मूलन।
देकार्त—रैशलनलिस्ट (जन्मजात विचार, "Cogito")। कान्ट—अप्रायोगिक a priori रूपों (स्थान, काल, श्रेणियाँ) का प्रतिपादन; उसने ह्यूम की चुनौती के उत्तर में "सामंजस्यवाद" विकसित किया। स्पिनोज़ा—तर्कप्रधान रैशनलिस्ट और सर्वेश्वरवादी। अतः अनुभववाद का उपयुक्त विकल्प ह्यूम है।