चरण 1: दार्शनिक स्थिति।
लाइबनिज प्रमुख रैशनलिस्ट दार्शनिक हैं। उनके अनुसार सत्य का उच्चतर स्रोत बुद्धि/तर्क है, क्योंकि वास्तविक ज्ञान आवश्यक और सार्वभौम होना चाहिए, और ऐसी आवश्यकता केवल बुद्धि-आधारित सिद्धान्तों से मिलती है। वे जन्मजात प्रवृत्तियों/विचारों को भी स्वीकारते हैं जिन्हें अनुभव केवल उत्प्रेरित करता है, उत्पन्न नहीं।
चरण 2: सत्यों का भेद।
लाइबनिज दो प्रकार के सत्य बताते हैं—Reason के सत्य (गणित/तर्क के समान, आवश्यक और विश्लेषणात्मक) तथा Fact के सत्य (प्रयोगजन्य/संभाव्य)। पहले प्रकार का आधार पूरी तरह बुद्धि है; दूसरे प्रकार में अनुभव का उपयोग होता है, पर अंतिम स्पष्टीकरण हेतु वे पर्याप्त कारण के सिद्धान्त तक जाते हैं, जो बुद्धि-न्याय है। इसलिए उनकी ज्ञानमीमांसा में प्राथमिकता बुद्धि को है।
चरण 3: विकल्प परीक्षण।
(1) केवल अनुभव कहना अनुभववादियों (लॉक, ह्यूम) का मत होगा। (3) दोनों कहना आकर्षक लग सकता है, पर लाइबनिज में प्रमुख स्रोत और सत्य की कसौटी बुद्धि ही है; अनुभव सहायक है, मूल स्रोत नहीं। अतः सही उत्तर बुद्धि।