'रोला' छन्द में कुल चरण होते हैं
'पीपर पात सरिस मन डोला' में अलंकार है
'निर्वेद' स्थायी भाव है
'दोहा' छन्द का ठीक उल्टा छन्द कौन-सा है ?
“आहुति-सी गिर पड़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी" । उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?
पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं । देखि दसा हर-गन मुसकाहीं ।। उपर्युक्त पंक्तियों में प्रयुक्त रस है -