ओलंपिक खेल न केवल एक वैश्विक खेल महोत्सव हैं, बल्कि यह राष्ट्रों की प्रतिभा, संकल्प और आत्मबल का भी परिचायक होते हैं। भारत का ओलंपिक इतिहास प्रारंभ में उतना सशक्त नहीं रहा, परंतु हाल के वर्षों में भारत का प्रदर्शन निरंतर बेहतर हो रहा है।
सन 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अब तक का सबसे सफल प्रदर्शन किया। 7 पदक (1 स्वर्ण, 2 रजत, 4 कांस्य) देश के खिलाड़ियों ने जीते।
नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश को ट्रैक एंड फील्ड में पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाया।
मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में रजत पदक जीतकर देश को गौरव दिलाया, जबकि लवलीना बोरगोहेन ने मुक्केबाज़ी में कांस्य पदक प्राप्त किया।
इसके अलावा भारत की पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों बाद कांस्य पदक जीतकर गौरवशाली अतीत की यादें ताज़ा कर दीं। महिला हॉकी टीम भी पहली बार सेमीफाइनल तक पहुँची — यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
टोक्यो पैरालंपिक 2021 में भी भारत ने असाधारण प्रदर्शन किया।
अवनी लेखरा, सुमित अंतिल, प्रमोद भगत जैसे खिलाड़ियों ने न केवल पदक जीते, बल्कि अपनी संघर्ष-गाथा से पूरे देश को प्रेरित किया।
इन सफलताओं के पीछे खिलाड़ियों की कठिन मेहनत, कोचिंग, सरकार द्वारा खेल सुविधाओं में सुधार और सामाजिक समर्थन की बड़ी भूमिका है। अब खिलाड़ी केवल शौक़ के लिए नहीं, बल्कि प्रोफ़ेशनल तैयारी के साथ मैदान में उतरते हैं।
निष्कर्षतः, ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन आज देश की उभरती खेल-संस्कृति, युवा प्रतिभाओं के आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन चुका है।