मुझे कक्षा का मॉनिटर बनना बेहद पसंद है, क्योंकि यह न केवल एक उत्तरदायित्व है, बल्कि एक अवसर है — नेतृत्व, अनुशासन और सहयोग का। जब मुझे पहली बार कक्षा का मॉनिटर चुना गया, तो मैंने इसे केवल एक सम्मान समझा। परंतु धीरे-धीरे यह समझ में आया कि यह पद बहुत कुछ सिखाता है।
मॉनिटर होने के नाते मेरा कार्य कक्षा में अनुशासन बनाए रखना, शिक्षक के निर्देशों को सही से पहुँचाना, समय पर कार्य करवाना और कक्षा के साथियों के बीच समरसता बनाए रखना होता है।
इस भूमिका ने मेरे भीतर निर्णय लेने की क्षमता, निष्पक्षता और नेतृत्व का विकास किया है। जब कोई सहपाठी समस्या में होता है, तो मैं उसे समझाता हूँ या शिक्षक से उसके लिए मार्गदर्शन प्राप्त करता हूँ।
कई बार मुझे ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जहाँ मुझे अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखकर न्यायसंगत कार्य करना होता है। यही अनुभव मुझे परिपक्व बनाते हैं।
मॉनिटर बनकर मुझे यह भी अनुभव हुआ कि नेतृत्व का अर्थ केवल आदेश देना नहीं होता, बल्कि सभी को साथ लेकर चलना और स्वयं अनुशासन का पालन करना होता है।
शिक्षक जब मुझ पर विश्वास जताते हैं, तो मेरा आत्मबल बढ़ता है। साथ ही सहपाठियों का सहयोग और सम्मान मुझे प्रेरणा देता है कि मैं अपने कार्य को और बेहतर बनाऊँ।
निष्कर्षतः, कक्षा का मॉनिटर बनना मेरे लिए केवल एक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और नेतृत्व कौशल विकसित करने का सशक्त मंच है। मुझे यह पद आत्मगौरव और सेवा का अवसर प्रदान करता है।