Question:

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए : 

(i) जीवन में विज्ञान का महत्व 
(ii) विद्यार्थी और अनुशासन 
(iii) वनों से लाभ 
(iv) देशप्रेम 
(v) आतंकवाद : कारण एवं निवारण 
 

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निबंध लिखते समय हमेशा विषय के अनुरूप प्रस्तावना, मुख्य भाग और उपसंहार शामिल करें। भाषा सरल, प्रभावशाली और स्पष्ट होनी चाहिए।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

(i) जीवन में विज्ञान का महत्व
प्रस्तावना:
विज्ञान आधुनिक युग का वरदान है। मानव जीवन में विज्ञान का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम जिस सुविधा, आराम और विकास का अनुभव कर रहे हैं, वह सब विज्ञान की ही देन है।
मुख्य भाग:
विज्ञान ने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। परिवहन के क्षेत्र में रेल, विमान, कार, जहाज आदि ने यात्रा को तेज़ और सुविधाजनक बना दिया है। संचार के क्षेत्र में टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट, ई–मेल आदि ने पूरी दुनिया को एक परिवार बना दिया है। चिकित्सा क्षेत्र में एक्स–रे, एम.आर.आई., वैक्सीन और शल्य–चिकित्सा जैसे आविष्कारों ने असंभव को संभव कर दिखाया है।
कृषि में भी विज्ञान ने उर्वरक, कीटनाशक और नई तकनीकों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाया है। अंतरिक्ष में भारत ने उपग्रहों के माध्यम से विश्व में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है।
दुष्परिणाम:
यदि विज्ञान का दुरुपयोग किया जाए तो यह विनाशकारी हो सकता है। परमाणु बम, जैविक हथियार और प्रदूषण इसके उदाहरण हैं।
उपसंहार:
विज्ञान का सही उपयोग मानवता के लिए वरदान है। अतः हमें इसे जन–कल्याण के लिए प्रयोग करना चाहिए, न कि विनाश के लिए।
(ii) विद्यार्थी और अनुशासन
प्रस्तावना:
अनुशासन मानव जीवन की आत्मा है। छात्र–जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है।
मुख्य भाग:
अनुशासन का अर्थ है — नियमों का पालन करना, समय का सदुपयोग करना और आत्म–संयम रखना। एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने अध्ययन में सफल होता है और समाज के लिए आदर्श बनता है। बिना अनुशासन के जीवन अव्यवस्थित और असफल होता है। विद्यालय में शिक्षक–आज्ञा का पालन, समय पर अध्ययन और सच्चरित्र व्यवहार — यही अनुशासन की पहचान है।
महत्व:
अनुशासन से मनुष्य का चरित्र मजबूत होता है। यह आत्म–विश्वास, धैर्य और मेहनत की भावना को जन्म देता है। राष्ट्र की उन्नति में भी अनुशासित नागरिकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
उपसंहार:
अनुशासन से ही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन ही सबसे बड़ी पूँजी है।
(iii) वनों से लाभ
प्रस्तावना:
वन मानव–जीवन के लिए प्रकृति का अनमोल उपहार हैं। वे न केवल पर्यावरण को संतुलित रखते हैं, बल्कि जीवन की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति भी करते हैं।
मुख्य भाग:
वनों से हमें लकड़ी, औषधियाँ, फल, फूल, इंधन आदि प्राप्त होते हैं। वे वर्षा को आकर्षित करते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हैं। वन ही पशु–पक्षियों के प्राकृतिक आवास हैं। वनों से वायु में ऑक्सीजन का स्तर बना रहता है जिससे जीवन संभव है।
हानियाँ (वन–विनाश के परिणाम):
अत्यधिक वन–कटाई से वर्षा की कमी, भूमि–अपक्षय, सूखा और प्रदूषण जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। वन–विनाश से पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है।
उपसंहार:
वन हमारी जीवन–रेखा हैं। इसलिए "वन–संरक्षण" हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। हमें पेड़ लगाकर पृथ्वी को हरा–भरा बनाए रखना चाहिए।
(iv) देशप्रेम
प्रस्तावना:
देशप्रेम वह भावना है जो व्यक्ति को अपने देश की सेवा, सुरक्षा और उन्नति के लिए प्रेरित करती है। यह राष्ट्रीय एकता और बलिदान का प्रतीक है।
मुख्य भाग:
देशप्रेम के कारण ही हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गाँधी और सरदार पटेल जैसे वीरों ने देश को स्वतंत्र करने में अपना जीवन समर्पित किया। सच्चा देशप्रेम केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में झलकता है। अपने कर्तव्यों का पालन करना, ईमानदारी से काम करना और समाज के लिए त्याग करना — यही सच्चा देशप्रेम है।
महत्त्व:
देशप्रेम से व्यक्ति में साहस, एकता और जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है। यह राष्ट्र को मजबूत बनाता है।
उपसंहार:
देशप्रेम हर नागरिक का धर्म है। हमें अपने देश की सेवा, सम्मान और एकता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
(v) आतंकवाद : कारण एवं निवारण
प्रस्तावना:
आतंकवाद आज के युग की सबसे भयानक समस्या है। इसका उद्देश्य समाज में भय और हिंसा फैलाकर अस्थिरता उत्पन्न करना है। भारत जैसे शांतिप्रिय देश में यह समस्या राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बन चुकी है।
कारण:
1. धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता।
2. राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता–लोभ।
3. बेरोज़गारी और अशिक्षा।
4. विदेशी शक्तियों द्वारा प्रायोजित हिंसा।
दुष्परिणाम:
आतंकवाद से निर्दोष लोगों की हत्या होती है, राष्ट्रीय संपत्ति का विनाश होता है, और समाज में असुरक्षा फैलती है। इससे विकास की गति रुक जाती है और भय का वातावरण बन जाता है।
निवारण:
1. आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण किया जाए।
2. युवाओं को शिक्षा, रोजगार और राष्ट्रीय चेतना से जोड़ा जाए।
3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाया जाए।
4. जन–जागरूकता और एकता को सशक्त किया जाए।
उपसंहार:
आतंकवाद को समाप्त करने के लिए शांति, शिक्षा और एकता सबसे प्रभावी हथियार हैं। हमें एकजुट होकर इस समस्या का सामना करना होगा।
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