Question:

निम्नलिखित संस्कृत श्लोकों में से किसी एक का संस्कृत - हिंदी में अनुवाद कीजिए। 
सहसा विद्वीत न क्रियाम् विवेक: परमपादं पदम्।
वृणुते हि बिमृश्यकारिणं गुण लुक्ष्य स्वमेव सम्पद:।
 

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When translating from Sanskrit to Hindi, make sure the essence and philosophical context of the passage are retained.
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

संस्कृत श्लोक का हिंदी में अनुवाद:
1. सहसा विद्वीत न क्रियाम् विवेक: परमपादं पदम्।
हिंदी अनुवाद: अचानक से ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। ज्ञान की प्राप्ति के लिए विवेक की आवश्यकता होती है जो परमपद तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है।
2. वृणुते हि बिमृश्यकारिणं गुण लुक्ष्य स्वमेव सम्पद:।
हिंदी अनुवाद: व्यक्ति केवल अपने गुणों का विचार करता है और अपने प्रयासों से ही वह समृद्धि प्राप्त करता है।
Step 1: Translating the Shloka.
यह श्लोक ज्ञान, विवेक और समृद्धि की महत्ता को दर्शाता है। इसका तात्पर्य यह है कि जीवन में सफलता के लिए विवेक और सही निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
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