निम्नलिखित संस्कृत श्लोकों में से किसी एक श्लोक का संदर्भ-सहित हिंदी में अनुवाद कीजिए।
संस्कृत श्लोक:
न मे रोचते भद्रं वः उलूकस्यभिषेचनम्।
अक्रुद्धस्य मुखं पश्य कथं क्रुद्धो भविष्यति।।
संदर्भ: प्रस्तुत श्लोक में यह बताया गया है कि अनुचित व्यक्ति को सम्मानित करना समाज के लिए हितकर नहीं होता।
अनुवाद: मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि उल्लू को राजा बनाया जाए। यदि किसी व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से क्रोध नहीं आता, तो यह कैसे संभव है कि वह क्रोधित होने पर भयावह रूप धारण कर लेगा? अर्थात्, जो व्यक्ति योग्य नहीं है, उसे सत्ता देना व्यर्थ है।
माध्यमभाषया सरलार्थं लिखत। (2 तः 1)
मनुजा वाचनेनैव बोधनं विषयान् बहून्।
दक्षा भवन्ति कार्येषु वाचनेन बहुश्रुताः॥
माध्यमभाषया सरलार्थं लिखत। (2 तः 1)
यथैव सकला नद्यः प्रविशन्ति महोदधिम्।
तथा मानवताधर्मः सर्वे धर्माः समाग्रतः॥
श्लोक का अर्थ संस्कृत में लिखिए : पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् । मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।।
श्लोक का अर्थ संस्कृत में लिखिए : ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्येत, धर्मार्थौ चानुचिन्तयेत् । कायक्लेशाँश्च तन्मूलान् वेदतत्वार्थमेव च ।।
श्लोक की हिन्दी में व्याख्या कीजिए : अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृद्धोपसेविनः । चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ।।