Comprehension

निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए: मुझे फूल मत मारो, मैं अबला बाला वियोगिनी,कुछ तो दया विचारो | होकर मधु के मीत मदन, पटु तुम कटु, गरल न गारो, मुझे विकलता, तुम्हें विफलता, ठहरो, श्रम परिहारो । नहीं भोगिनी यह मैं कोई, जो तुम जाल पसारो, बल हो तो सिन्दुर-बिंदु यह - यह हर नेत्र निहारो ! रूप दर्प कंदर्प, तुम्हें तो मेरे पति पर वारो, लो, यह मेरी चरण-धूलि उस रति के सिर पर धारो ।

Question: 1

प्रस्तुत पद्यांश के पाठ का शीर्षक व कवि का नाम लिखिए।

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किसी काव्यांश के पाठ और कवि के नाम को पहचानने के लिए उसकी भावनात्मक और साहित्यिक शैली पर ध्यान देना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत पद्यांश 'उर्मिला की प्रार्थना' से लिया गया है, जिसका रचनाकार मैथिलीशरण गुप्त हैं। यह पद्यांश उर्मिला की मानसिक वेदना और उसकी प्रार्थना को व्यक्त करता है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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व्याख्या करते समय, पात्र के मनोभाव और उसकी स्थिति को समझना जरूरी होता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश में उर्मिला अपने कष्टों और विषाद के बारे में बात करती है। वह कहती है कि वह एक अबला बाला नहीं है, जिसे लोग निर्दयता से मार सकते हैं। वह उन्हें दया करने की अपील करती है और यह भी कहती है कि मदन (कामदेव) को कटु गरल (विष) से मारा जाए क्योंकि उसे व्यथा और असफलता मिलती है। उर्मिला यह कहकर यह संदेश देती है कि वह कमजोर नहीं है और उसे विकल और पीड़ित करने का कोई अधिकार नहीं रखता।
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Question: 3

प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कौन-सा अलंकार प्रयुक्त किया है?

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रूपक अलंकार तब होता है जब किसी वस्तु या भाव का वास्तविक रूप से मेल खाती हुई दूसरी वस्तु से तुलना की जाती है, जैसे प्रतीकों का प्रयोग।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने रूपक अलंकार का प्रयोग किया है। उदाहरण स्वरूप, उर्मिला के सिंदूर-बिंदु को "सिन्दुर-बिंदु यह - यह हर नेत्र निहारो" के रूप में प्रतीकात्मक रूप से पेश किया गया है, जो कि उसके वियोग और मानसिक स्थिति का प्रतीक है।
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Question: 4

काम-व्यथित होने पर उर्मिला किससे प्रार्थना करती है?

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प्रार्थना करते समय, पात्र का मानसिक संघर्ष और उसका उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

काम-व्यथित होने पर उर्मिला मदन (कामदेव) से प्रार्थना करती है कि वह उसे अपनी जाल से मुक्त कर दे। वह इसे एक अभ्यर्थना के रूप में प्रस्तुत करती है ताकि वह मानसिक शांति प्राप्त कर सके और विकलता से बाहर निकल सके।
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Question: 5

पद्यांश में उर्मिला ने अपने सिंदूर बिंदु को किसके समान बताया है?

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कवि जब किसी विशेष वस्तु को किसी अन्य वस्तु के समान प्रस्तुत करता है तो यह रूपक अलंकार कहलाता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

पद्यांश में उर्मिला ने अपने सिंदूर-बिंदु को "रूप दर्प कंदर्प" के समान बताया है। यह रूपक अलंकार के माध्यम से वह अपने सिंदूर-बिंदु की महत्ता और उसकी स्थिति को व्यक्त करती है, जो उसकी पतिव्रता स्थिति का प्रतीक है।
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