Comprehension

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 
लज्जाशीला पथिक महिला जो कहीं दृष्टि आये ।
होने देना विकृत वसना तो न तू सुंदरी को ।
जो थोड़ी भी श्रमित वह हो गोद ले श्रांति खोना ।
होठों की औ कमल मुख की म्लानताएँ मिटाना ।
कोई क्लान्ता कृषक-ललना खेत में जो दिखावै । 
धीरे-धीरे परस उसकी क्लान्तियों को मिटाना ।
जाता कोई जलद यदि हो व्योम में तो उसे ला । 
छाया द्वारा सुखित करना, तप्त भूतांगना को ।

Question: 1

लज्जाशीला' शब्द किसके लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त है ?

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संस्कृतनिष्ठ शब्दों में विशेषण का प्रयोग किसी विशेष गुण या भाव को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

'लज्जाशीला' शब्द पथिक महिला के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है। यह शब्द उस स्त्री की विशेषता को दर्शाता है जो लज्जाशील है और अपने मार्ग पर चल रही है।
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Question: 2

वियोगिनी राधा 'पवन दूतिका' से किसकी क्लान्तियों को मिटाने का निवेदन करती हैं ?

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'पवन दूतिका' का प्रयोग वात्सल्य और करुणा की भावना को व्यक्त करने के लिए किया गया है।
Updated On: Nov 14, 2025
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वियोगिनी राधा 'पवन दूतिका' से कृषक-ललनाओं की क्लान्ति को मिटाने का निवेदन करती हैं। वे चाहती हैं कि किसान की परिश्रांत पत्नी की थकान को दूर किया जाए, जिससे उसे सुखद अनुभूति हो।
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Question: 3

विकृत-वसना' शब्द का अर्थ लिखिए तथा 'कमल-मुख' में अलंकार निरूपित कीजिए ।

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रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में भेद नहीं होता, बल्कि उपमेय को ही उपमान मान लिया जाता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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- 'विकृत-वसना' शब्द का अर्थ: फटे-पुराने और जीर्ण वस्त्रों में लिपटी हुई स्त्री।
- 'कमल-मुख' में अलंकार: 'कमल-मुख' में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है, जहाँ मुख की उपमा कमल से दी गई है, जिससे सौंदर्य और कोमलता का बोध होता है।
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Question: 4

उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और रचयिता का नाम लिखिए ।

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पद्यांश के रचनाकार और उनकी शैली को समझने से पाठ के भाव और संदेश को अधिक स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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उपर्युक्त पद्यांश का पाठ 'वियोगिनी राधा का वात्सल्य' है और इसके रचयिता 'सूरदास' हैं।
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Question: 5

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

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इस पद्यांश में वात्सल्य और करुणा रस की प्रधानता है, जो मानवीय संवेदना को दर्शाता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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रेखांकित अंश में कवि यह दर्शाते हैं कि वियोगिनी राधा 'पवन दूतिका' से संसार के क्लांत, श्रमशील और दुखी प्राणियों को सुख देने का निवेदन करती हैं। वे चाहती हैं कि वायु सभी के श्रम को हर ले और उन्हें ताजगी तथा स्फूर्ति प्रदान करे। यह करुणा और संवेदना की भावना को प्रकट करता है।
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