निम्नलिखित पत्र पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ का मूल्यांकन करें:
सबसे पहले हम अनुंश की यात्रा पर पहुंचे। गोवा में छोटे- बड़े करीब 40 बोट हैं जिन्हें प्रमुख सवाल आ चुका है। अनुंश बोट नौका पल्लवितनी, प्रतिष्ठित बहुत ही सुंदरतम है। इसका चित्र सब लोग पहचानते हैं, जिसे तो बोट के मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है। समुद्र तक जाने के लिए पीठी नोटो को उतारने हेतु गीला पानी अपनी बोट की सवारी का प्रारंभ होती है। एक कार्टर-कनेक्टिंग इन से मार्ग तय किया था जिसके द्वारा समुद्र कमलती है। जिस से मुस्कान के साथ हंसी की लहरें देखने का कार्य हुआ है। यह समुद्र में काफी सुंदर किया है। आनंद को मैंने वापिसा किया और संज्ञान में पुष्टि कर देखा। इस संज्ञान में बुद्धि की क्षमता बढ़ी है और उसके साथ ही यह विकास दिशा में अपना काम चला रहा था। समुद्र की लहरें काम्याप्त पंछी के साथ भरी से लगे। उत्तरप्रदित इसके बाद पार्विक कामना जो वह चहला में उत्पन्न करता है। इस मेप से इसे सहृदय बात लगता है। बंदरों ने सौकुण को देखकर यह समर्थन स्वीकार किया। यह समुद्र की प्रेरणा से इसका दृश्ट है। समुद्र से।
विशेषताएँ लिखिए :
(1) अंशुना बींच
(2) बैनालियम बींच
Step 1: समझना और विश्लेषण करना.
यह संदेश एक बोट यात्रा का विवरण देता है जो गोवा में हुई थी। इसमें बोट के खूबसूरत दृश्यों, समुद्र की लहरों, और आनंद की भावना को व्यक्त किया गया है। अंशुना बींच और बैनालियम बींच दोनों का वर्णन किया गया है, लेकिन खास ध्यान अंशुना बींच पर केंद्रित किया गया है।
Step 2: विकल्पों का विश्लेषण.
(1) अंशुना बींच: यह सही उत्तर है क्योंकि अंशुना बींच का उल्लेख प्रमुख रूप से किया गया है और इसे प्रमुख स्थान प्राप्त है।
(2) बैनालियम बींच: बैनालियम बींच का उल्लेख कम किया गया है, और यह मुख्य रूप से अंशुना बींच से जुड़ा हुआ नहीं है।
Step 3: निष्कर्ष.
सही उत्तर (1) अंशुना बींच है, क्योंकि इस बींच को विशेष रूप से विस्तृत किया गया है और इसे यात्रा का हिस्सा माना गया है।
एक/दो शब्दों में उत्तर लिखिए:
(i) गोवा के छोटे-बड़े बीच की संख्या .................
(ii) किसी ने यह घर बना लिया था .................
(iii) अपने बच्चों को खतरे से सावधान करने वाले .................
(iv) बैनालियम बीच इसकी पहली पसंद है .................
Step 1: Question (i).
गोवा में छोटे-बड़े करीब 40 बोट हैं, यह संख्या है जो यात्रा में वर्णित की गई है।
Step 2: Question (ii).
यह सवाल उस व्यक्ति के बारे में है जिसने गोवा में घर बनाया था। लेखक ने गोवा में आनंद का अनुभव करने के लिए घर बनाया था।
Step 3: Question (iii).
लेखक ने बच्चों को खतरे से बचाने के लिए सावधान किया। यह खतरे से बचने की आवश्यकता का उदाहरण है।
Step 4: Question (iv).
बैनालियम बीच यह पसंद किया गया है क्योंकि यहां की खूबसूरती का खासा उल्लेख किया गया है।
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द अंकित करें :
(1) बदसूरत .................
(2) नापसंद .................
Step 1: बदसूरत
बदसूरत का विलोम शब्द 'सुंदर' है।
Step 2: नापसंद
नापसंद का विलोम शब्द 'पसंद' है।
निम्नलिखित शब्दों के लिए पर्यायवाची शब्द लिखिए :
(1) कमज़ोर .................
(2) आनंद .................
Step 1: कमज़ोर
कमज़ोर का पर्यायवाची शब्द 'दुबला' है।
Step 2: आनंद
आनंद का पर्यायवाची शब्द 'खुशी' है।
अपने द्वारा किए हुए पिछले एक यात्रा का अनुभव 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
Step 1: यात्रा का विवरण.
मैंने पिछले महीने एक यात्रा की थी, जो मुझे बहुत रोमांचक लगी। मैंने गोवा की यात्रा की, वहां के समुद्र तट पर घूमना और पानी में तैरना बहुत अच्छा था। यात्रा के दौरान मैंने बहुत से स्थानों की खोज की और वहाँ की संस्कृति को समझा।
Step 2: निष्कर्ष.
यात्रा से मुझे न केवल विश्राम मिला, बल्कि नए अनुभव और सीखने को भी मिला। गोवा के प्राकृतिक दृश्य और सांस्कृतिक विविधता ने मेरी यात्रा को यादगार बना दिया।
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण उपकरण है। यह जीवन के कठिन समय में चुनौतियों का सामना करने का मार्ग प्रशस्त करती है। शिक्षा-प्राप्ति के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है। शिक्षा जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसर के लिए प्रेरित बनाती है। व्यक्ति के जीवन को बढ़ाने के लिए सरकारें कई बहुत से योजनाओं और अवसरों का संचालन करती रही हैं।
शिक्षा मनुष्य को समाज में समानता का अधिकार दिलाने का माध्यम है। जीवन के विकास की ओर बढ़ा देती है। आज के वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में शिक्षा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह व्यक्ति को जीवन में बहुत सारी सुविधाएँ प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करती है। शिक्षा का उद्देश्य अब केवल रोजगार प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए भी आवश्यक है।
आज का विद्यार्थी शिक्षा के माध्यम से समाज को जोड़ने की कड़ी बन सकता है। शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है, व्यक्ति को समय के साथ चलने और आगे बढ़ने में मदद करती है। यह व्यक्ति को अनुशासन, परिश्रम, धैर्य और शिक्षा जैसे मूल्य सिखाती है। शिक्षा व्यक्ति को समाज के लिए उपयोगी बनाती है और जीवन में अनेक छोटे-बड़े कार्यों में विभिन्न कौशलों को विकसित करती है। यही कारण है कि आज प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करना चाहता है और समाज में दृढ़ता प्राप्त कर सही मार्ग पर खड़ा हो सकता है।
बार-बार आती है मुखाकृति मधुर, याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मधुर खुशी मेरी।
चिंता रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्बंध स्वच्छंद।
कैसे भुला जा सकता है बचपन का अद्भुत आनंद।
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था, छुआ-छूत किसे कहते?
बनी हुई थी वहीं झोपड़ी और सीपियों से नावें।
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती सी आँसू, चुपचाप बहा जाते थे।
वह सुख जो साधारण जीवन छोड़कर महत्वाकांक्षाएँ बड़ी हुईं।
टूट गईं कुछ खो गईं हुई-सी दौड़-धूप घर खड़ी हुईं।
नाटक की तरह एकांकी में चरित्र अधिक नहीं होते। यहाँ प्रायः एक या अधिक चरित्र नहीं होते। चरित्रों में भी केवल नायक की प्रधानता रहती है, अन्य चरित्र उसके व्यक्तित्व का प्रसार करते हैं। यही एकांकी की विशेषता है कि नायक सर्वत्र प्रमुखता पाता है। एकांकी में घटनाएँ भी कम होती हैं, क्योंकि सीमित समय में घटनाओं को स्थान देना पड़ता है। हास्य, व्यंग्य और बिंब का काम अक्सर चरित्रों और नायक के माध्यम से होता है। एकांकी का नायक प्रभावशाली होना चाहिए, ताकि पाठक या दर्शक पर गहरा छाप छोड़ सके।
इसके अलावा, घटनाओं के उद्भव-पतन और संघर्ष की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि नायक ही संपूर्णता में कथा का वाहक होता है। यही कारण है कि नाटकों की तरह इसमें अनेक पात्रों का कोई बड़ा-छोटा संघर्ष नहीं होता। नायक के लिए सर्वगुणसंपन्न होना भी आवश्यक नहीं होता। वह साधारण जीवन जीता हुआ व्यक्ति भी हो सकता है।
इस गद्यांश से यह स्पष्ट होता है कि एकांकी में चरित्रों की संख्या सीमित होती है, नायक अधिक प्रभावशाली होता है और बाहरी संघर्ष बहुत कम दिखाया जाता है।
जवाहरलालनेहरूशास्त्री कञ्चन करणीनामकशिल्पिनः आसीत । मियालगोटेर्यालेयां स्थितः सः आरक्षका: मातृका: हत आसीत: आसीत तद्विषये । सः विज्ञानानन्दसदनं नीत्वा तत्र कार्स्यमं पृष्ट्वा गुरुकुलं अध्यायान्वितं स्म । गार्हस्थ्यं यः सहाय्यं कुर्वीत तस्मै योगः: पुरस्कारः दायते हि सर्वकारणं धार्मिकत्व आसीत ।
कविलासः जवाहरलालनेहरूशास्त्री तेह्रुआं स्फूर्तं परं स्थितः । एष्याणाकारे विद्यायामं सः राजपुरमार्ग स्थितः कञ्चन आराधनं स्मरति स्म । आश्चर्यकरः साधुः इदम्नातरणं एव जवाहरलालनेहरूयं अभिनवावदानम् । अतः सः पुरस्कारतः आख्यापक अध्यम्यः ।
आख्यापकः : आगत्य शान्तिनगरं आरक्षकालं अन्यत्र । शान्तिनगरं: तु अन्यनामं धैर्येण स्थियते न पुरातनं ।
आख्यापकाध्यापकः : नागानिके विद्यालये त्रिविधानां यूनिफार्म परिधानानाम् आज्ञापितवान् । कश्चन छात्रकः शान्तिनगरं : यूनिफार्म परिधानं न आचरत् । एष्यं वस्त्रं यूनिफार्म यत्रात बहिः : स्थातुम् । द्वितीयमिति वहिः : स्थातुम् । तृतीयं वस्त्रं यूनिफार्म यत्रात यत्र बहिः : स्थातुम् ततः तस्मात् अज्ञालिप्ताधिकारि रुष्टगणकानि भूमौ अपतन्त।
“भोः, एषानी नामानि कुतः परिधानं भवता ?” – अनुच्छत्रः आख्यापकाध्यापकः ।
“अहं गण्डकोरीं छत्रकः अस्मि । तत् एव अन्यमानं करणीयं हि उत्कट बन्धुमित्राय निबन्धः । स्तन् धनम् एतत्” इति अवदत् जनोश्चन्द्रशास्त्री ।