Question:

निम्नलिखित पद्यों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 
मुझे फूल मत मारो, 
मैं अबला बाल विधनी, कुसंतोदयविहीन। 
होकर मधु के मीठा मदन, पत्त तुम कुतर, गरल न गाओ। 
मुझे विकलता, तुम्हे विकलता, हर्षो, श्रम परिहारो। 
नहीं भोजिनी यह कोई, जो तुम जान भरो। 
बल हो तो सिंदुर-बिंदी यह - यह हर नेज निभाओ। 
स्पर्श कंदु, तुम्हे तो मेरे पति पर वारो। 
लो, यह मेरी चरण-धूलि उस रीति के सिर पर धारे। 
प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य क्यों थक जाता है?

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Look at the psychological struggles depicted in the passage to understand the deeper emotional issues that contribute to exhaustion.
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the passage.
इस प्रश्न में लेखक यह बताता है कि मनुष्य इच्छाओं और राग-द्वेश के चक्र में फँस जाता है, जिससे उसे मानसिक थकान होती है। यह चक्र उसे लगातार एक ही अवस्था में घसीटता है।
Step 2: Analyzing the options.
(A) प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य क्यों थक जाता है? Correct — यह चक्र व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है।
Step 3: Conclusion.
The correct answer is (A) मनुष्य अपनी इच्छाओं और राग-द्वेश के कारण लगातार संघर्ष करता है और अंततः थक जाता है।
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