विज्ञान : वरदान या अभिशाप
प्रस्तावना (परिचय): आज का युग विज्ञान का युग है। हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो विज्ञान से अछूता हो। सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक हम विज्ञान द्वारा दिए गए साधनों का उपयोग करते हैं। विज्ञान ने मानव जीवन को अत्यंत सरल, सुखद और समृद्ध बना दिया है। इसने असम्भव को सम्भव कर दिखाया है। किन्तु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार विज्ञान के लाभ हैं तो हानियाँ भी।
विज्ञान वरदान के रूप में:
यातायात और संचार: विज्ञान ने बस, रेल, वायुयान जैसे साधनों से दूरियों को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट ने संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
चिकित्सा: विज्ञान ने असाध्य रोगों जैसे- कैंसर, टी.बी. आदि का इलाज संभव बना दिया है। अंग प्रत्यारोपण और नई-नई दवाइयों ने मनुष्य को दीर्घायु बनाया है।
मनोरंजन: रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा और कंप्यूटर जैसे साधनों ने हमारे मनोरंजन के तरीकों को बदल दिया है।
कृषि और उद्योग: ट्रैक्टर, उर्वरक और उन्नत बीजों से कृषि उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। बड़े-बड़े कारखानों से उत्पादन बढ़ा है और मानव-श्रम की बचत हुई है।
दैनिक जीवन: बिजली, पंखा, कूलर, फ्रिज, गैस-चूल्हा आदि ने हमारे दैनिक जीवन को अत्यंत सुविधाजनक बना दिया है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में:
विनाशकारी हथियार: विज्ञान ने परमाणु बम, हाइड्रोजन बम और अन्य घातक हथियारों का निर्माण किया है, जो पल भर में सम्पूर्ण मानवता का विनाश कर सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी का विध्वंस इसका ज्वलंत उदाहरण है।
पर्यावरण प्रदूषण: उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले धुएँ और रसायनों ने वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है, जिससे अनेक बीमारियाँ फैल रही हैं।
नैतिक पतन और बेरोजगारी: मशीनों के अत्यधिक प्रयोग से बेरोजगारी बढ़ी है। इंटरनेट और टेलीविजन के दुष्प्रभावों ने युवा पीढ़ी के नैतिक पतन को बढ़ावा दिया है।
उपसंहार (निष्कर्ष): वास्तव में, विज्ञान न तो वरदान है और न ही अभिशाप। यह केवल एक शक्ति है, जिसका उपयोग मानव के विवेक पर निर्भर करता है। यदि हम इसका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए करें, तो यह वरदान है और यदि इसका उपयोग विनाश के लिए करें, तो यह अभिशाप बन जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम विज्ञान पर नियंत्रण रखें और इसका प्रयोग रचनात्मक कार्यों में करें, विनाशकारी कार्यों में नहीं।