Question:

निम्नलिखित में से किसी एक संस्कृत पद्यांश का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 
पद्यांश 1 – 
अपदो दूरगामी च साक्षरो न च पण्डितः। 
अमुखः स्पष्टवक्ता च यो जानाति स पण्डितः॥ 
अथवा 
पद्यांश 2 – 
मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति। 
कामं हित्वार्थवान् भवति लोभं हित्वा सुखी भवेत्॥

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पण्डित केवल पढ़ा-लिखा होना ही नहीं है, बल्कि स्पष्ट और सच्चा वक्ता होना भी आवश्यक है।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

पद्यांश 1 –
संदर्भ:
यह श्लोक वास्तविक पण्डित की पहचान बताता है। इसमें शिक्षा, विद्वता और व्यवहार में स्पष्टता के महत्व को बताया गया है। हिन्दी अनुवाद:
जो व्यक्ति अपद (कठिन परिस्थिति) से दूर जाने में समर्थ हो, जो साक्षर हो, परन्तु स्पष्ट वक्ता न हो, वह पण्डित नहीं कहलाता। वास्तव में वह व्यक्ति पण्डित है जो स्पष्ट वक्ता हो और ज्ञान रखता हो। पद्यांश 2 –
संदर्भ:
यह श्लोक मानव जीवन में त्याग और आत्मसंयम के महत्व को समझाता है। इसमें बताया गया है कि मान, क्रोध, काम और लोभ त्यागने से जीवन सुखमय बनता है। हिन्दी अनुवाद:
जो व्यक्ति अहंकार का त्याग करता है, वह सबको प्रिय हो जाता है। जो क्रोध का त्याग करता है, वह कभी शोक नहीं करता। जो काम का त्याग करता है, वह अर्थवान होता है। और जो लोभ का त्याग करता है, वह वास्तव में सुखी बनता है।
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