(i) तुलसीदास — जीवन परिचय और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में उत्तर प्रदेश के राजापुर (चित्रकूट) में हुआ। बचपन में ही माता–पिता का निधन हो गया। उनका पालन–पोषण गुरु नरहरिदास ने किया। उन्होंने संस्कृत, हिंदी, वेद–शास्त्र और पुराणों का गहन अध्ययन किया।
व्यक्तित्व और योगदान:
तुलसीदास भक्ति–युग के महान कवि थे। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में भक्ति, नीति और धर्म की स्थापना की। उनका व्यक्तित्व अत्यंत सरल, त्यागी और लोक–कल्याण की भावना से ओतप्रोत था। वे श्रीराम के अनन्य भक्त थे और राम–भक्ति को जन–जन तक पहुँचाया।
साहित्यिक योगदान:
उन्होंने अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में काव्य रचना की। उनके साहित्य में भक्ति, नीति और मानवता का समन्वय मिलता है। उन्होंने लोक–भाषा को इतना सरल बनाया कि वह सबके हृदय में उतर गई।
प्रमुख रचना:
"रामचरितमानस" उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है। इसमें श्रीराम के आदर्श जीवन का वर्णन कर उन्होंने भक्ति और नीति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। अन्य रचनाएँ — "विनयपत्रिका", "कवितावली", "गीतावली" और "हनुमान चालीसा" भी प्रसिद्ध हैं।
निष्कर्ष:
तुलसीदास हिंदी साहित्य के अमर कवि और राम–भक्ति परंपरा के अग्रदूत थे। वे जन–कवि और युग–निर्माता दोनों थे।
(ii) बिहारीलाल — जीवन परिचय और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
बिहारीलाल का जन्म सन् 1595 ई. में गोविंदपुर (ग्वालियर) में हुआ। वे ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि थे। उन्होंने संस्कृत और हिंदी का गहन अध्ययन किया।
व्यक्तित्व और योगदान:
बिहारीलाल श्रृंगार–रस के कवि थे। उनके काव्य में कोमल भावनाओं और सूक्ष्म संवेदनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है। वे दरबारी कवि होने के बावजूद सरल और मर्यादित जीवन के पक्षधर थे।
साहित्यिक योगदान:
उनकी कविताएँ अल्प शब्दों में गहन अर्थ व्यक्त करती हैं। उन्होंने ब्रजभाषा को सूक्तियों और नीति–वाक्यों के रूप में प्रतिष्ठा दी। उनके काव्य में रस, सौन्दर्य और व्यंग्य का अद्भुत मेल है।
प्रमुख रचना:
उनकी अमर कृति "बिहारी सतसई" है, जिसमें 700 दोहों में प्रेम, नीति, भक्ति और जीवन के विविध पक्षों का सुंदर वर्णन मिलता है।
निष्कर्ष:
बिहारीलाल हिंदी के सूक्ष्म भावों के अप्रतिम शिल्पी थे। उन्होंने ब्रजभाषा को अलंकारिक सौन्दर्य और गहनता प्रदान की।
(iii) मैथिलीशरण गुप्त — जीवन परिचय और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 ई. में उत्तर प्रदेश के चिरगाँव (झाँसी) में हुआ। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की और संस्कृत, हिंदी तथा अंग्रेज़ी का अध्ययन स्वाध्याय से किया।
व्यक्तित्व और योगदान:
वे खड़ी बोली हिंदी के प्रथम महाकवि माने जाते हैं। उनका व्यक्तित्व राष्ट्र–भक्ति, मानवीय संवेदना और नैतिक आदर्शों से प्रेरित था। वे गांधीजी से अत्यधिक प्रभावित थे।
साहित्यिक योगदान:
गुप्त जी ने हिंदी काव्य को राष्ट्रीयता, नारी–सम्मान और सामाजिक चेतना से समृद्ध किया। उन्होंने काव्य को लोक–हित और समाज–सुधार का माध्यम बनाया। उनके काव्य में सरलता और नैतिकता का सुंदर मेल है।
प्रमुख रचना:
उनकी प्रसिद्ध रचना "भारत–भारती" है, जिसमें भारत की गौरव–गाथा, स्वतंत्रता–संघर्ष और राष्ट्रीय चेतना का प्रेरणादायक चित्रण मिलता है। अन्य रचनाएँ — "साकेत", "पंचवटी", "जयद्रथ–वध" भी प्रसिद्ध हैं।
निष्कर्ष:
मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्र–कवि थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को राष्ट्रीयता और नैतिकता की दिशा दी। वे भारतीय संस्कृति के सच्चे प्रतिनिधि थे।