पं० दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 1916 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। वे भारतीय राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन और समाजशास्त्र के प्रमुख विचारक थे। उन्होंने एकात्म मानववाद का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो भारतीय संस्कृति और स्वदेशी विचारधारा पर आधारित था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख विचारकों में से एक थे और भारतीय जनसंघ के संस्थापक नेताओं में शामिल थे।
उनकी प्रमुख रचनाएँ 'एकात्म मानववाद', 'राष्ट्र जीवन की समस्याएँ', 'जगतगुरु भारत', 'दीनदयाल विचार दर्शन', 'समर्थ भारत' हैं। उनकी लेखनी राष्ट्रवाद, भारतीय संस्कृति, अर्थनीति और सामाजिक संरचना से जुड़ी थी। वे भारतीय राजनीति में स्वदेशी अवधारणा, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकेंद्रित आर्थिक व्यवस्था के समर्थक थे।
पं० दीनदयाल उपाध्याय ने भारत की राजनीतिक और सामाजिक सोच को एक नई दिशा दी। उनका मानना था कि भारत की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था का आधार भारतीय संस्कृति और परंपराओं में निहित होना चाहिए। उन्होंने ‘अंत्योदय’ (समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति का उत्थान) का विचार प्रस्तुत किया, जिसे बाद में भारतीय नीति निर्माण में महत्वपूर्ण स्थान मिला।
उनकी विचारधारा राजनीति, समाज और संस्कृति का समन्वय करती थी। वे एक दूरदर्शी चिंतक थे, जिन्होंने भारत के आर्थिक और सामाजिक पुनरुत्थान के लिए विचारों की नींव रखी। उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा आज भी भारतीय राजनीति में एक प्रेरणास्रोत बनी हुई है।