Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों :
वाणी ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई एक बड़ी देन है। वह मनुष्य
के चिंतन का फलित है और उसका साधन भी। चिंतन के बगैर वाणी
नहीं और वाणी के बगैर चिंतन नहीं और दोनों के बगैर मनुष्य नहीं।
मनुष्य के जीवन का समाधान वाणी के संयम और उसके सदुपयोग
पर निर्भर है। मनुष्य के सारे चिंतनशास्त्र वाणी पर आधारित हैं। दर्शनों
का सारा प्रयास विचारों को वाणी में ठीक-से पेश करने के लिए रहा
है। वाणी विचार का शरीर ही है। कोई खास विचार किसी खास शब्द
में ही समाता है। इसलिए गंभीर चिंतन करने वाले निश्चित वाणी की
खोज करते रहते हैं।
पतंजलि के बारे में कहते हैं कि उसने चित्तशुद्धि के लिए योगसूत्र
लिखे, शरीरशुद्धि के लिए वैद्यक लिखा और वाक्शुद्धि के लिए व्याकरण
महाभाष्य लिखा।

Question: 1

वाणी मनुष्य को किसकी देन है?

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वाणी वास्तव में एक महान उपहार है जो हमें विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर देती है। यह मनुष्य को अपनी आंतरिक दुनिया को बाहरी दुनिया से जोड़ने का माध्यम है। ईश्वर ने मनुष्य को वाणी दी, जिससे हम अपनी इच्छाओं, दर्द, सुख, दुख, और आस्थाओं को शब्दों के रूप में व्यक्त कर सकते हैं।
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वाणी ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई एक बड़ी देन है।
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Question: 2

वाणी और चिंतन का आपस में क्या संबंध है?

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चिंतन (मनन) से ही शब्दों का जन्म होता है, और शब्द (वाणी) से ही विचारों का प्रसार। इन दोनों के बिना, एक का अस्तित्व दूसरे के बिना अधूरा होता है। एक अच्छा विचार तभी व्यक्त हो सकता है जब हम उसे शब्दों में ढालने में सक्षम हों, और शब्द तभी प्रभावी हो सकते हैं जब वे सही चिंतन पर आधारित हों।
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वाणी के बिना चिंतन नहीं हो सकता और चिंतन के बिना वाणी संभव नहीं है।
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Question: 3

पतंजलि ने वाक्शुद्धि के लिए क्या लिखा?

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पतंजलि ने "वाक्शुद्धि" (Speech Purity) के लिए अपने व्याकरण महाभाष्य में संस्कृत व्याकरण के गहरे नियमों का विश्लेषण किया। उनका उद्देश्य भाषा को शुद्ध और स्पष्ट रूप से उपयोग में लाना था। इस महाभाष्य के माध्यम से, उन्होंने शब्दों के सही उच्चारण और अर्थ को स्पष्ट किया, जिससे संचार में शुद्धता और स्पष्टता बनी रहे।
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पतंजलि ने वाक्शुद्धि के लिए व्याकरण महाभाष्य लिखा।
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Question: 4

विचारों को ठीक से प्रस्तुत करने के लिए किसका प्रयास किया जाता है?

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गद्यांश आधारित प्रश्न बनाते समय महत्वपूर्ण विचारों और तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। प्रश्न स्पष्ट और उत्तर एक वाक्य में होने चाहिए।
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विचारों को वाणी में ठीक से प्रस्तुत करने के लिए दर्शनशास्त्रों का प्रयास किया जाता है।
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