Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश का सन्दर्भ देते हुए नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए : पुरुषार्थ वह है जो पुरुष को सप्रयास रखे, साथ ही सहयुक्त भी रखे । यह जो सहयोग है, सच में पुरुष और भाग्य का ही है । पुरुष अपने अहं से वियुक्त होता है, तभी भाग्य से संयुक्त होता है। लोग जब पुरुषार्थ को भाग्य से अलग और विपरीत करते हैं तो कहना चाहिए कि वे पुरुषार्थ को ही उसके अर्थ से विलग और विमुख कर देते हैं। पुरुष का अर्थ क्या पशु का ही अर्थ है ? बल - विक्रम तो पशु में ज्यादा होता है। दौड़-धूप निश्चय ही पशु अधिक करता है। लेकिन यदि पुरुषार्थ पशु चेष्टा के अर्थ से कुछ भिन्न और श्रेष्ठ है, तो इस अर्थ में कि वह केवल हाथ-पैर चलाना नहीं है, न क्रिया का वेग और कौशल है, बल्कि वह स्नेह और सहयोग की भावना है।

Question: 1

प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।

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गद्यांश का पाठ और लेखक का नाम पहचानने के लिए उसकी मूल भावना और संदर्भ को समझें।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

उपर्युक्त गद्यांश 'पुरुषार्थ' पाठ से लिया गया है, जिसके लेखक रामधारी सिंह दिनकर हैं। इस गद्यांश में लेखक ने पुरुषार्थ और भाग्य के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय उसके मुख्य संदेश को सरल शब्दों में स्पष्ट करें।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश में कहा गया है कि पुरुषार्थ का सही अर्थ केवल मेहनत करना या शारीरिक परिश्रम करना नहीं है, बल्कि इसमें स्नेह और सहयोग की भावना भी आवश्यक होती है। जब मनुष्य अहंकार से मुक्त होकर कार्य करता है, तभी भाग्य का साथ मिलता है।
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Question: 3

पुरुषार्थ किसे कहते हैं?

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पुरुषार्थ को भाग्य से जोड़कर देखने पर सफलता के नए मार्ग खुलते हैं।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

पुरुषार्थ वह शक्ति है जो मनुष्य को सप्रयास बनाए रखती है और उसे सहयोग तथा स्नेह के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। यह केवल कर्मठता नहीं, बल्कि सहयोग की भावना भी है।
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Question: 4

पुरुष और पशु में क्या अन्तर है?

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मनुष्य को पशु से अलग करने वाली चीज़ उसका विवेक और सह-अस्तित्व की भावना है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

पुरुष और पशु में मुख्य अंतर यह है कि पशु केवल शारीरिक बल और क्रिया-शक्ति से संचालित होते हैं, जबकि मनुष्य के पुरुषार्थ में स्नेह, सहयोग और विवेक की भावना शामिल होती है। मनुष्य केवल शारीरिक श्रम नहीं करता, बल्कि वह मानसिक और नैतिक गुणों को भी अपनाता है।
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Question: 5

पुरुषार्थ किस प्रकार दिखाई देता है?

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सच्चा पुरुषार्थ वही है जिसमें व्यक्ति केवल श्रम ही नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व और संवेदनशीलता भी अपनाता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

पुरुषार्थ स्नेह और सहयोग के रूप में दिखाई देता है। यह केवल शारीरिक श्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, परिश्रम और आपसी सौहार्द्र के रूप में भी प्रकट होता है। जब मनुष्य अहंकार छोड़कर परिश्रम करता है और अपने कार्यों में समर्पण दिखाता है, तब वह पुरुषार्थ को सही रूप में दर्शाता है।
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