Question:

निम्नलिखित संस्कृत गाथाओं में से किसी \(\underline{एक}\) का सरल-संहित हिंदी में अनुवाद कीजिए।
यथैवक्षपणवतः जीवनं तथैव ते जीवनं स्यात्। 
अमृतत्वस्य तु नाशास्ति विनाशिनः इति। 
सा मे मतिर्भवेत् – येनार्थं नाप्नोति यस्मिन न कुण्ठ्यते। 
पदं भगवन् केवलं-अमृतलक्षणं जानासि, 
तद्वे म मे बुद्धिः। 
याकदस्यं एव प्रियम् - प्रियं न, सती त्वं प्रियं भासे।।

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संन्यास का अर्थ केवल वस्त्र त्यागना नहीं, बल्कि मन को मोह-माया से मुक्त करना भी होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation

जिस प्रकार एक संन्यासी का जीवन व्यतीत होता है, वैसे ही एक ज्ञानी पुरुष का जीवन भी होना चाहिए। अमरता की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन नश्वरता का नाश निश्चित है। मेरा मत यही है कि जिस चीज़ से कोई संपत्ति प्राप्त न हो और जिससे मन विचलित न हो, वही सच्चा मार्ग है। हे भगवान! केवल वही ज्ञान अमरता का प्रतीक है। प्रिय को प्रिय समझना आवश्यक नहीं, परंतु सतीत्व ही सच्चा प्रेम है।
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