Question:

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥ 
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥ 
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥ 
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥ 
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥ 
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥ 
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥ 
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥ 

(2) पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए :
(i) निम्न अर्थ के शब्द : 
(1) झुकना 
(2) मटमैला 
 

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पुरानी हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं के पद्यांशों के लिए, कठिन शब्दों के अर्थों को समझने का प्रयास करें। अक्सर शब्दार्थ पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
दिए गए अर्थों ('झुकना', 'मटमैला') के लिए पद्यांश से अवधी भाषा के शब्द खोजने हैं।

Step 2: Detailed Explanation:
(1) झुकना: तीसरी पंक्ति में शब्द है 'नवहिं' - "जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ।" ('नवहिं' का अर्थ है झुकते हैं)।
(2) मटमैला: छठी पंक्ति में शब्द है 'ढाबर' - "भूमि परत भा ढाबर पानी।" ('ढाबर' का अर्थ है गंदा या मटमैला)।

Step 3: Final Answer:
(1) झुकना - नवहिं
(2) मटमैला - ढाबर

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