Question:

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम 
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम। 
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि 
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि। 
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं 
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।...... 
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न 
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न। 

(2)(ii) निम्नलिखित प्रत्यययुक्त शब्दों के मूलशब्द पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए : 
(1) दयालु 
(2) प्राकृतिक 
 

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मूलशब्द और प्रत्यय को अलग करने के लिए, शब्द के उस सार्थक हिस्से को पहचानें जो प्रत्यय हटाने के बाद बचता है।
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
हमें दिए गए प्रत्यययुक्त शब्दों ('दयालु', 'प्राकृतिक') के मूल शब्द पद्यांश से खोजने हैं।

Step 2: Detailed Explanation:
(1) दयालु: इस शब्द का मूल शब्द 'दया' है और इसमें 'आलु' प्रत्यय लगा है। पद्यांश की दूसरी पंक्ति में 'दया' शब्द आया है: "दया दिखलाते घर-घर घूम।"
(2) प्राकृतिक: इस शब्द का मूल शब्द 'प्रकृति' है और इसमें 'इक' प्रत्यय लगा है। पद्यांश की पाँचवीं पंक्ति में 'प्रकृति' शब्द आया है: "प्रकृति का रहा पालना यहीं"।

Step 3: Final Answer:
(1) दयालु का मूलशब्द - दया
(2) प्राकृतिक का मूलशब्द - प्रकृति

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