निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
(2)(ii) उपसर्गयुक्त शब्द
Step 1: Understanding the Concept:
उपसर्गयुक्त शब्द वे होते हैं जिनके आरंभ में कोई उपसर्ग (prefix) जुड़ा हो। हमें पद्यांश से ऐसे शब्द खोजने हैं।
Step 2: Detailed Explanation:
पद्यांश में निम्नलिखित उपसर्गयुक्त शब्द मिलते हैं:
\[\begin{array}{rl} \bullet & \text{सदगुन: इसमें 'सद्' उपसर्ग है (सद् + गुण)। "जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा॥"} \\ \bullet & \text{अघात: इसमें 'अ' उपसर्ग है (अ + घात)। "बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे।"} \\ \end{array}\]
Step 3: Final Answer:
(1) सदगुन
(2) अघात
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(3)(ii) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में उल्लेखित समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) रुग्णालय
(2) शक्ल
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(3)(i) गद्यांश में उल्लेखित अंग्रेजी शब्द लिखिए।
(1) ...........
(2) ...........
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
(2) पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए :
(i) निम्न अर्थ के शब्द :
(1) झुकना
(2) मटमैला
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(2)(ii) निम्नलिखित प्रत्यययुक्त शब्दों के मूलशब्द पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) दयालु
(2) प्राकृतिक
निम्नलिखित पिठत गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए :
हमने अपने जीवन में बाबू जी के रहते अभाव नहीं देखा। उनके न रहने के बाद जो कुछ मुझपर बीता, वह एक दूसरी तरह का अभाव था कि मुझे बैंक की नौकरी करनी पड़ी। लेकिन उससे पूर्व बाबू जी के रहते मैं जब जन्मा था तब वे उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री थे। उस समय गृहमंत्री को पुलिस मंत्री कहा जाता था। इसलिए मैं हमेशा कल्पना किया करता था कि हमारे पास ये छोटी गाड़ी नहीं, बड़ी आलीशान गाड़ी होनी चाहिए। बाबू जी प्रधानमंत्री हुए तो वहाँ जो गाड़ी थी वह थी, इंपाला शेवरलेट। उसे देख-देख बड़ा जी करता कि मौका मिले और उसे चलाऊँ। प्रधानमंत्री का लड़का था। कोई मामूली बात नहीं थी। सोचते-विचारते, कल्पना की उड़ान भरते एक दिन मौका मिल गया। धीरे-धीरे हिम्मत भी खुल गई थी ऑर्डर देने की। हमने बाबू जी के निजी सचिव से कहा- "सहाय साहब, जरा ड्राइवर से कहिए, इंपाला लेकर रेजिडेंस की तरफ आ जाएँ।"
दो मिनट में गाड़ी आकर दरवाजे पर लग गई। अनिल भैया ने कहा- "मैं तो इसे चलाऊँगा नहीं। तुम्हीं चलाओ।"
मैं आगे बढ़ा। ड्राइवर से चाभी माँगी। बोला-"तुम बैठो, आराम करो, हम लोग वापस आते हैं अभी।"
(3)(ii) गद्यांश में उल्लेखित शब्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए :
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(4) सार्वजनिक रुग्णालयों की स्थिति के बारे में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(2) उत्तर लिखिए :
निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा "मैं कहाँ हूँ ?"
"आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(1)(ii)
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए :
(1) किसान की आत्मकथा
(2) भारत का चंद्रयान मिशन-3
(3) चाँदनी रात की सैर।
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए :